उन्होंने कहा, "परफॉर्मिंग आर्ट या किसी भी तरह की कला के लिए जाति, नस्ल या रंग की कोई सीमा नहीं है। इसलिए "हमारे देश में समावेशन के लिए यह सर्वोत्तम माध्यम है"।"
लेखिका यास्मीन सिंह स्वयं कथक नृत्यांगना हैं। एक पुस्तक का शीर्षक है "कथक नृत्य प्रणेता और संरक्षक : राजा चक्रधर सिंह"। दूसरी पुस्तक "रायगढ़ घराने की कथक रचनाओं का सौंदर्य बोध" है।