अरुण देव गौतम बने छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी: 1992 बैच के अफसर, 6 जिलों के एसपी रहे; संयुक्त राष्ट्र पदक से सम्मानित
By : dineshakula, Last Updated : February 4, 2025 | 3:37 pm
अरुण देव गौतम की पुलिस सेवा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां रही हैं। उन्हें 2010 में भारतीय पुलिस पदक और 2018 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, 2002 में संघर्षग्रस्त कोसोवा में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र पुलिस पदक भी प्राप्त हुआ।
पूर्व डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल सोमवार को समाप्त हुआ था, और उन्हें दो बार सेवा विस्तार मिल चुका था।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अरुण देव गौतम का जन्म 2 जुलाई 1967 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक छोटे से गांव अभयपुर में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से हुई, इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद के राजकीय इंटर कॉलेज से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय कानून में एमफिल की डिग्री प्राप्त की।
पुलिस सेवा की शुरुआत
अरुण देव गौतम ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर 1992 में आईपीएस अफसर के तौर पर अपनी सेवा शुरू की। पहले उन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला, जहां उन्होंने जबलपुर और बिलासपुर में काम किया। इसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ के कैडर में स्थानांतरित किया गया, जहां उन्होंने कई प्रमुख जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया।
सभी चुनौतीपूर्ण पदों पर उत्कृष्ट कार्य
2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद, गौतम ने छत्तीसगढ़ पुलिस में अपनी सेवाएं देना शुरू किया। वे कोरिया, रायगढ़, जशपुर, राजनंदगांव, सरगुजा और बिलासपुर जिलों के एसपी रह चुके हैं।
वर्ष 2009 में राजनांदगांव में नक्सली हमले में 29 पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद उन्हें उस जिले का एसपी बनाया गया, जहां उन्होंने सफलता से कानून-व्यवस्था बहाल की। इसके बाद, उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस के कई महत्वपूर्ण विभागों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं।
आईजी और बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान
उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण उन्हें 2013 में झीरम घाटी नक्सली हमले के बाद बस्तर रेंज का आईजी बनाया गया। इस हमले में कांग्रेस नेताओं की मौत के बाद, उन्होंने बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियानों की अगुआई की और विधानसभा चुनावों के दौरान शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित किए।
हाल ही में, वे छत्तीसगढ़ के गृह सचिव, जेल और परिवहन विभाग के प्रभारी रहे, और साथ ही नगर सेना और अग्निशमन सेवाओं की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी उन्होंने निभाई।
समाज और प्रशासन के प्रति योगदान
अरुण देव गौतम का पुलिस सेवा में एक लंबा और समृद्ध कार्यकाल रहा है। उनकी निष्ठा, नेतृत्व क्षमता और कठिन समय में निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया। अब वे राज्य के नए डीजीपी के रूप में पुलिस प्रशासन की बागडोर संभालेंगे।