मध्य प्रदेश के फर्जी आबकारी चालान घोटाले में ईडी के छापे

बताया गया है कि राज्य में वर्ष 2015 से 2018 की अवधि के दौरान चालानों में की गई जालसाजी और हेरा-फेरी के जरिए कई करोड़ की गड़बड़ी हुई थी, जिससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ था।

  • Written By:
  • Publish Date - April 28, 2025 / 01:33 PM IST

भोपाल 28 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में फर्जी बैंक चालानों के जरिए हुए आबकारी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने कई स्थानों पर एक साथ छापेमारी की है। यह छापे राज्य की राजधानी भोपाल के अलावा इंदौर, जबलपुर सहित कई स्थानों पर शराब के कारोबारियों और विभागीय अधिकारियों के ठिकानों पर मारे गए हैं।

बताया गया है कि राज्य में वर्ष 2015 से 2018 की अवधि के दौरान चालानों में की गई जालसाजी और हेरा-फेरी के जरिए कई करोड़ की गड़बड़ी हुई थी, जिससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ था। यह मामला प्रवर्तन निदेशालय तक पहुंचा और उन्होंने इस गंभीर मसले पर कार्रवाई शुरू की। उसी के तहत सोमवार को ईडी के दल ने 18 से ज्यादा स्थानों पर दबिश दी है।

फर्जी चालान के जरिए सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच कर प्राथमिकी दर्ज की थी और अब आगे की कार्रवाई हो रही है। शराब कारोबारियों और आबकारी अफसरों पर आरोप है कि कुछ शराब ठेकेदारों ने अफसरों की मिलीभगत से फर्जी चालान और दस्तावेजों के जरिए सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान पहुंचाया। यह सारी गड़बड़ी वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच हुई। इन ठेकेदारों ने नकली चालान के माध्यम से शराब खरीदने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी हासिल किए।

ईडी को इस बात की जांच में पता चला है कि शराब ठेकेदार चालानों में छेड़छाड़ करते थे और चालान में पहले राशि अंकों में भरी जाती थी, परंतु शब्दों में जहां राशि लिखी जाती है, उसे खाली ही छोड़ा रखा जाता था। बैंक में मूल राशि जमा करने के बाद, ठेकेदार बाद में चालान की कॉपी में खाली जगह मनमाफिक राशि भर देते थे। इस तरह सरकार तक गई रकम और चालान में भरी गई रकम अलग होती थी। इस घोटाले में लगभग 71 करोड़ का घोटाला हुआ है।