रायपुर। राजधानी रायपुर से करीब 85 किलोमीटर दूर बार नवापारा अभयारण (Navapara Sanctuary) में बाघों की बसाने का प्लान करीब 15 साल बाद फाइलों से बाहर आ गया है। बार नवापारा-उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के एमडी ने दिल्ली में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (National Tiger Conservation Authority) के सामने बाघों को बसाने की प्लानिंग का प्रेजेंटेशन दे दिया है। प्रेजेंटशन के आधार पर एनटीसीए ने अपनी सहमति दे दी है। एक औपचारिक सर्वे के लिए अगले माह टीम यहां पहुंचेगी। इस बीच, महाराष्ट्र के ताड़ोबा नेशनल पार्क ने दो बाघिन और एक बाघ देने की मंजूरी दे दी है। प्रारंभिक चरण में दो मादा बाघिन को लाया जाएगा। उसके बाद बाघ को लाया जाएगा।
बार के जंगलों में बाघों का घरौंदा बसाने की प्लानिंग हालांकि 15 साल से चल रही है, लेकिन पहली बार इतनी तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। अगस्त के पहले सप्ताह में बार नवापारा-उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट के एमडी विश्वेष झा दिल्ली प्रेजेंटेशन देने गए थे। उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में बताया कि बार के जंगलों में कैसे और क्यों आसानी से बाघों को बसाया जा सकता है। साथ ही ये जानकारी भी दी कि बार के जंगलों में बाघों के भोजन के लिए कोई कमी नहीं है।
करीब चार महीने पहले एक बाघ भटककर बार नवापारा के जंगल पहुंच गया। उसने बार के जंगल को ही अपना स्थायी घरौंदा बना लिया है। उसकी लगातार मॉनीटरिंग की गई। इस दौरान पता चला कि यहां उसे आसानी से भोजन मिल रहा है। उसके बाद ही यहां बाघों को बसाने की प्रक्रिया तेज की गई।
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