संयुक्त राष्ट्र, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। यूनेस्को (UNESCO) ने गुजरात के नृत्य गरबा (Garba dance of Gujarat) को “मानवता की एक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत” (आईसीएचएच) घोषित किया है, इसे विरासत में मिली “जीवित अभिव्यक्ति” के रूप में मान्यता दी है जो समावेशिता को बढ़ावा देती है और ‘शक्ति’ की स्त्री ऊर्जा का सम्मान करती है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को की अंतर सरकारी समिति ने बुधवार को बोत्सवाना के कसाने में अपनी बैठक में गरबा को अपनी आईसीएचएच सूची में शामिल करने का निर्णय लिया।
यूनेस्को ने कहा, “एक धार्मिक अनुष्ठान होने के अलावा, गरबा सामाजिक-आर्थिक, लिंग और कठोर संप्रदाय संरचनाओं को कमजोर करके सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है। यह विविध और हाशिए पर रहने वाले समुदायों द्वारा समावेशी और भागीदारीपूर्ण बना हुआ है, जिससे सामुदायिक बंधन मजबूत हो रहे हैं।”
भारत की सूची में वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा, छाऊ नृत्य, केरल का मुडियेट्टू नृत्य नाटक, रामलीला प्रदर्शन, लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चार और दुर्गा पूजा शामिल हैं। समिति ने बुधवार को ढाका में रिक्शा और रिक्शा पेंटिंग को भी मान्यता दी।