छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र में विपक्ष ने सरकार को धान खरीदी और एनजीओ अनुदान पर घेरा

By : hashtagu, Last Updated : July 18, 2025 | 2:16 pm

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Vidhan Sabha) के मानसून सत्र के अंतिम दिन विपक्ष ने राज्य सरकार से धान की खरीदी प्रक्रिया और एनजीओ अनुदानों को लेकर कड़े सवाल किए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए धान के भंडारण और वितरण को लेकर सवाल उठाए।

भूपेश बघेल ने पूछा कि कुल कितनी धान की नीलामी की गई और जो धान एफसीआई और नान को दिया जाना था, वह मिलर्स को कितना सौंपा गया है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब धान केंद्रों से उठाया गया तो वह अब कहां गया?

इस पर मंत्री दयालदास बघेल ने बताया कि बालोद विधानसभा क्षेत्र में 2,25,000 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी, जिसमें से 1,79,700 मीट्रिक टन धान राइस मिलर्स को भेजा गया। उन्होंने यह भी बताया कि केवल 51,691 मीट्रिक टन धान बचा है और बाकी संग्रहण केंद्रों में गया है। मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि सभी आंकड़े पारदर्शी हैं और नीलामी व एफसीआई-नान को धान भेजने की प्रक्रिया नियमों के तहत की गई है।

एनजीओ अनुदान पर कांग्रेस विधायक चतुरी नंद ने महिला एवं बाल विकास विभाग से सवाल किया कि किस सामाजिक संस्था को कितना अनुदान मिला और उसका उपयोग किस मद में हुआ। उन्होंने खासकर फॉर्च्यून फाउंडेशन का उल्लेख करते हुए कहा कि दस्तावेजों में जो राशि 2024-25 और 2025-26 में दिखाई गई है, वह मंत्री द्वारा बताए गए आंकड़ों से मेल नहीं खाती।

इस पर मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने बताया कि फॉर्च्यून फाउंडेशन महासमुंद और आशियाना वृद्धाश्रम चलाता है। उन्होंने कहा कि संस्था को 2023-24 में ₹23.59 लाख, 2022-23 में ₹23 लाख और 2024-25 में ₹10 लाख का अनुदान दिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंतर दो किस्तों में जारी किए गए धन की वजह से हो सकता है।

विधायक चतुरी नंद ने सदन में मांग की कि इस अनुदान और उसके दस्तावेजों की जांच की जाए। उन्होंने यह भी पूछा कि अगर यह संस्था महासमुंद में है तो इसका दफ्तर कहां है और बजट का सही उपयोग किस कार्य में हुआ है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि सभी जानकारी विभाग से उपलब्ध करवाई जाएगी और पारदर्शिता से जांच के लिए सभी रिकॉर्ड तैयार हैं।

विधायक भैया लाल राजवाड़े ने मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े से पूछा कि उन्होंने जो जानकारी दी, वह सही नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि कितने दिव्यांगों के आवेदन आए हैं। इस पर मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने बताया कि 21 आवेदन आए थे। विधायक भैया लाल ने कहा कि यह गलत जानकारी दी जा रही है, क्योंकि उन्होंने पूरे विधानसभा क्षेत्र का जिक्र किया था।

सत्र के चौथे दिन छत्तीसगढ़ में डीएपी (उर्वरक) आपूर्ति पर भी विवाद हुआ। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने निजी व्यापारियों को डीएपी सौंपकर किसानों को वंचित किया। इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत, भूपेश बघेल और पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने सरकार को घेरा। विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ और कांग्रेस के विधायक सदन के गर्भगृह तक पहुंच गए। स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि संसदीय परंपराओं का उल्लंघन किया जा रहा है और सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी।

पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने पूछा कि छत्तीसगढ़ में डीएपी भंडारण का लक्ष्य क्या था, कितना भंडारण हो चुका है, कितना व्यापारियों को दिया गया और कितना किसानों को पहुंचाया गया। कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने बताया कि 3 लाख 10 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य था, और जून तक 1 लाख 18 हजार मिट्रिक टन डीएपी प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में डीएपी की आपूर्ति में सुधार होगा।