15 अगस्त को ग्वालियर में बने तिरंगे से आसमान होगा रंगीन, 20 तरह की टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरता है राष्ट्रीय ध्वज

By : hashtagu, Last Updated : August 13, 2025 | 1:52 pm

भोपाल: 79वीं भारतीय स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर ग्वालियर में बने तिरंगे से देशभर में 17 राज्यों में ध्वजारोहण होगा। ग्वालियर स्थित मध्य भारत खादी संघ द्वारा तैयार किए गए इस राष्ट्रीय ध्वज को 20 प्रकार की टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस बार दिल्ली और भोपाल भी उन शहरों में शामिल हैं, जहां ग्वालियर में बने तिरंगे को फहराया जाएगा।

ग्वालियर का तिरंगा: राष्ट्रीय ध्वज बनाने की कठिन प्रक्रिया

ग्वालियर में बने तिरंगे का निर्माण बेहद कठिन प्रक्रिया है, जिसे तैयार करने में 5 से 6 दिन का समय लगता है। हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ग्वालियर से तैयार किए गए तिरंगे को सरकारी और अशासकीय संस्थाओं में ध्वजारोहण के लिए भेजा जाता है। मध्य भारत खादी संघ ग्वालियर उत्तर भारत की एकमात्र संस्था है, जिसे राष्ट्रीय ध्वज बनाने का अधिकार प्राप्त है।

तिरंगे के निर्माण में 20 प्रकार की टेस्टिंग

मध्य भारत खादी संघ के अधिकारियों के अनुसार, तिरंगे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यह 20 प्रकार की टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरता है। इन टेस्टिंग में यार्न (धागा) से लेकर फिनिश तक के सभी स्टेप्स को बारीकी से जांचा जाता है। इसके बाद तिरंगे को तैयार किया जाता है, जिसमें हर काम हाथों से किया जाता है।

कितने आकार के तिरंगे बनते हैं?

मध्य भारत खादी संघ में विभिन्न आकार के तिरंगे तैयार होते हैं, जिनमें 2X3 से लेकर 6X4 आकार तक के तिरंगे प्रमुख हैं। इन आकारों का उपयोग मुख्य रूप से ध्वजारोहण के लिए किया जाता है। संघ प्रतिवर्ष 20 हजार से अधिक तिरंगे तैयार करता है, जो देशभर में भेजे जाते हैं।

ग्वालियर का तिरंगा: हर राज्य में फहराए जाएंगे

संघ के सचिव राजकुमार शर्मा बताते हैं कि ग्वालियर में बने तिरंगे 17 राज्यों में पहुंचाए गए हैं, जिनमें दिल्ली, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड सहित अन्य राज्य शामिल हैं। इसके अलावा, ग्वालियर में बने तिरंगे भारतीय सेना की इमारतों पर भी फहराए जाते हैं, जो इसे और भी गौरवमयी बनाता है।

संघ के लिए तिरंगा बनाना है चुनौतीपूर्ण काम

मध्य भारत खादी संघ के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा का मानना है कि तिरंगे का निर्माण किसी भी खादी संघ के लिए चुनौतीपूर्ण काम होता है, क्योंकि इसे तैयार करने की प्रक्रिया केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार होती है। इन गाइडलाइंस का पालन करते हुए तिरंगे को तैयार किया जाता है, जिससे उनका मानक सुनिश्चित किया जा सके।