भारत ने कैसे पलटी बाज़ी: 7 बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचे

By : dineshakula, Last Updated : October 31, 2025 | 5:05 am

नवी मुंबई, :  हार की हैट्रिक के बाद भारतीय (Team India) महिला क्रिकेट टीम ने ऐसा कमबैक किया, जिसे आने वाले सालों तक याद रखा जाएगा। 7 बार की विश्व चैंपियन और अब तक टूर्नामेंट में अपराजित रही ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारत ने नवी मुंबई में खेले गए आईसीसी विमेंस वनडे वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में धमाकेदार एंट्री कर ली।

यह वही टीम है जो कुछ हफ्ते पहले साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से लगातार तीन मुकाबले हार चुकी थी और सेमीफाइनल की रेस से लगभग बाहर मानी जा रही थी। लेकिन वहीं से भारतीय टीम ने जिस अंदाज़ में वापसी की, उसने पूरे क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया।

ऑस्ट्रेलिया ने सेमीफाइनल में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और फीबी लिचफील्ड के शतक और एश्ले गार्डनर के ताबड़तोड़ 63 रनों की बदौलत 338 रन का विशाल लक्ष्य खड़ा किया। यह किसी भी नॉकआउट मैच में दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था।

लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की शुरुआत उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही। शेफाली वर्मा 10 और स्मृति मंधाना 24 रन बनाकर जल्दी आउट हो गईं। उस वक्त लगने लगा था कि भारत दबाव में टूट जाएगा। लेकिन कप्तान हरमनप्रीत कौर और जेमिमा रोड्रिग्ज ने मिलकर मैच का रुख ही पलट दिया। दोनों ने 167 रनों की साझेदारी कर टीम को संभाला और रन रेट को लगातार बनाए रखा।

हरमनप्रीत ने 88 गेंदों पर 89 रन बनाए, जबकि जेमिमा ने नाबाद 127 रन ठोके। दीप्ति शर्मा और ऋचा घोष ने अंत में तेज़ पारी खेलकर भारत को जीत के करीब पहुंचाया। आखिरी ओवर में जब भारत को 2 रन की दरकार थी, अमनजोत कौर ने कवर के ऊपर से चौका लगाकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी।

जैसे ही चौका बाउंड्री पार गया, जेमिमा रोड्रिग्ज भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं और अमनजोत को गले लगाकर रो पड़ीं। डगआउट में कप्तान हरमनप्रीत कौर की आंखों में भी आंसू थे — यह सिर्फ जीत नहीं, बल्कि विश्वास की वापसी थी।

यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में मील का पत्थर बन गई है। टीम इंडिया ने वनडे इतिहास का सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल किया और ऑस्ट्रेलिया की लगातार जीत की लकीर तोड़ दी।

यह कहानी 2017 के उस पल की याद दिलाती है जब हरमनप्रीत के 171 रन की मदद से भारत ने इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। आठ साल बाद, इतिहास फिर दोहराया गया — और इस बार भारत ने जीत की कहानी और भी सुनहरी लिख दी।