छत्तीसगढ़। आस्था की डोर पकड़कर अगर कर्मपथ पर आगे बढ़ा जाए तो आप को कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। इससे आपका दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाएगा। क्योंकि ईश्वर के प्रति अटूट आस्था से एक अलौकिक सकारात्मक ऊर्जा अापके जीवन में आती है। इसके सहारे आप अपने लक्ष्य की ओर स्वफुर्त ही पा लेते हैं। कुछ ऐसा प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्र के जीवन में हुआ। एक समय था उनका परिवार इतना गरीब था कि दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो पाती थी। वे बताते हैं कि उनके पिता चने का ठेला लगाते और वह खुद चाय बेचा करते थे। इस गरीबी में उनकी शिव के प्रति आस्था और अटूट भक्ति ने जीवन को ऐसा जगमग कर दिया कि आज उनकी कथा में लाखों लोग जुटते हैं। इनकी कथा में लाखों लोगों की भीड़ जुट रही है। इसके अलावा दो दिन में इनके कथा स्थल पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह, उपराज्यपाल उइके सहित मंत्री विधायक पहुंच रहे हैं। यहां हर दिन करीब 2 लाख से अधिक की भीड़ जुट रही है। यह शिवकथा 13 नवंबर तक चलेगी। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस बल के पसीने छूट जा रहे हैं। कथा स्थल से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से ही वाहनों को पार्किंग कर लोग पैदल ही जा रहे हैं। हालात ये है कि उधर से गुजरने में अब लोग कतरा रहे हैं।
पं मिश्र बताते हैं कि उनके गुरु के मंदिर में सैंकड़ों पक्षी रहते हैं। गुरु पक्षियों से श्री कृष्ण बुलवाते थे। मंत्र बुलवाते थे। पक्षी भी हमारे गुरुधाम में हरे राम हरे कृष्ण, बाहर निकलो कोई आया है… बोलते हैं। मुझे याद है मैं जब उनके पास गया था तो मुझे देखते ही उन्होंने मेरी गुरुमाता अपनी पत्नी से कहा- बालक आया है भूखा है इसे भोजन दो। इसके बाद उन्होंने मुझे आर्शीवाद देकर कहा था तुम्हारा पंडाल कभी खाली नहीं जाएगा। शुरुआत में मैंने शिव मंदिर में कथा भगवान को शिव को ही सुनाना शुरू किया। मैं मंदिर की सफाई करता था। इसके बाद सीहोर में ही पहली बार मंच पर कथावाचक के रूप में शुरुआत की।
पंडित प्रदीप मिश्र ने कहा शिव के प्रति श्रद्धा रखो और वेद पुराण सम्मत विधान से बताए गए आसान नियमों का पालन कर शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। वे भोले शंकर भंडारी है सबकुछ बहुत जल्दी ही भक्तों को प्रदान कर देते हैं।