बृजमोहन और धनंजय में छिड़ी जुबानी जंग! एक-दूसरे पर वार-पलटवार
By : madhukar dubey, Last Updated : July 14, 2023 | 6:31 pm
अग्रवाल ने आगे कहा बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता मोहन मरकाम को हटाकर दूसरे आदिवासी नेता सांसद दीपक बैज को पद देकर कांग्रेस आदिवासियों में आपस में संघर्ष करवा रही। पहले आदिवासियों को आरक्षण के नाम पर ठगा गया कि उन्हें 78% में 32% आरक्षण दिया जाएगा और अब आदिवासी नेता मोहन मरकाम को प्रेमसाय सिंह टेकाम को पद से हटाकर आदिवासी समाज का अपमान कर रहे हैं आदिवासियों को लड़ा कर कांग्रेसी अपना हित साधना चाह रही है।
पिछड़ा वर्ग के नेता को तवज्जो नहीं
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- टीएस बाबा को कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री बनाया, उन्होंने किसी पिछड़े वर्ग के नेता को या अनुसूचित जनजाति के नेता को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया? यह भी प्रदर्शित करता है कि कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग का शोषण करने वाली पार्टी है और यह राजा-महाराजाओं की पार्टी है।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सत्ता में बैठी छत्तीसगढ़ कांग्रेस का प्रशासन भ्रष्टाचार में डूबा है। इसीलिए कांग्रेस ने अब यहां के नेताओं से कमान छीन कर अब अपने नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को छत्तीसगढ़ की समझ नहीं है। यहां की 30% आबादी आदिवासी समाज की है अनुसूचित जनजाति की है उनका अपमान कांग्रेस ने किया है। 2023 के चुनाव में छत्तीसगढ़ का पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति वर्ग अनुसूचित जनजाति वर्ग सभी कांग्रेस को सबक सिखाएगी।
धनंजय बोले, चौतरफा निराशा में डूबी BJP डिप्रेशन की शिकार!
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा- भाजपा नेता चौतरफा निराशा में डूबे हैं, डिप्रेशन के शिकार हैं। हिमाचल, कर्नाटक के बाद अब पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में बुरी तरह ठुकराए जाने से भाजपा को अहसास हो गया है कि अब पूरे देश में दुर्गति होना तय है। छत्तीसगढ़ में तो भाजपा की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि पार्टी का अस्तित्व बचाने छत्तीसगढ़ दौरे के लिए मोदी-शाह दौड़ लगा रहे हैं। तू चल, मैं आया की तर्ज पर एक आकर जाता है तो दूसरा चला आता है।
ठाकुर ने आगे कहा- चार साल से छत्तीसगढ़ को भूल बैठे मोदी को अब हर हफ्ते छत्तीसगढ़ का सपना आ रहा है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का भी यही हाल है। घोषणा पत्र समिति से बाहर हो गए तो भय सता रहा है कि अब आगे क्या होगा। उन्हें अपने क्षेत्र की समस्याएं दिखने लगीं। इतने दशक से कर क्या रहे थे? खुद साबित कर रहे हैं कि न मंत्री रहते हुए कुछ किया न विधायक रहते। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल की मनोदशा भी यही है। इनके प्रदेश अध्यक्ष को कोई पसंद नहीं कर रहा। सब अपने आप में सिकंदर हैं।
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