छग बीज निगम के बिना अनुमति कृषि विभाग द्वारा करोड़ों की खरीदी : विनोद चंद्राकर

पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि महासमुंद जिले सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में कृषि विभाग के

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  • Updated On - April 8, 2025 / 01:57 PM IST

निजी कंपनियों को लाभ देने राज्य बीज निगम को लगाया करोड़ों का चूना

महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर (Former MLA Vinod Sevenlal Chandrakar) ने कहा कि महासमुंद जिले सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम देने तथा निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने नियम विरूद्ध बीज खरीदी कर करोड़ों का भ्रष्टाचार (Corruption worth crores in purchasing seeds) किया गया है। पूर्व में महासमुंद जिला कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने नियम विरूद्ध बीज व उपकरण खरीदी की शिकायत की गई थी। विधानसभा में विभागीय मंत्री को कृषि विभाग के विभिन्न जिलों के अधिकारियों द्वारा दी गई बीज खरीदी की गलत जानकारी की जाँच की मांग एक बार पुन: श्री चंद्राकर ने प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन, कृषि उत्पादन आयुक्त मंत्रालय रायपुर को पत्र प्रेषित कर की है।
श्री चंद्राकर ने गत 2 अप्रैल 2025 को प्रमुख सचिव को प्रेषित पत्र में छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गलत उत्तर दिये जाने की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की मांग कर कहा है कि अधिकारियों द्वारा विधानसभा में विभागीय मंत्री को गुमराह कर गलत जानकारी दी गई है।

  • जिसकी बिंदुवार जाँच किए जाने की आवश्यकता है। प्रश्न क्र. ख के उत्तर में कहा गया है कि शासन स्तर से राष्ट्रीय बीज निगम से बीज क्रय करने के संबंध में पृथक से कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है। इसका अर्थ यह है, कि बिना शासन के निर्देश एवं परिपत्र के कृषि विभाग के जिला अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय बीज निगम से प्रश्नांश अवधि में करोड़ों की खरीदी की गई जो अवैध है। प्रश्न के विधानसभा में दिये गये उत्तर के बिंदु क्रमांक “ग” में जवाब दिया गया है, कि “बीज क्रय करने का संपूर्ण अधिकार जिला अधिकारियों को है”, जो पूर्णत: गलत है। क्योंकि बीज क्रय करने का संपूर्ण अधिकार छत्तीसगढ़ बीज निगम को है ना की राष्ट्रीय बीज निगम को। इस स्थिति में यह स्पष्ट है, कि संबंधित अधिकारियों द्वारा विधानसभा में पूर्णतः गलत जानकारी दिया गया है।
    चंद्राकर ने कहा क राष्ट्रीय बीज निगम स्वयं कोई बीज उत्पादन नहीं करता है, अपितु वह कंपनियों की मार्केटिंग करता है। इस प्रकार राष्ट्रीय बीज निगम से क्रय कर संबंधित निजी कंपनियों को करोड़ों का लाभ पहुँचाया गया है। विधानसभा में किये गये प्रश्नावधि के दौरान राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा किन-किन कंपनियों को भुगतान किया गया है, इसकी जांच पश्चात स्पष्ट हो जायेगा, कि राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा अपने चहेते कंपनियों को ही करोड़ों रूपये का लाभ पहुँचाते हुये छत्तीसगढ़ शासन को आर्थिक क्षति पहुँचायी गई है। इसकी भी जांच कराया जाना आवश्यक है।
    उन्होंने कहा है कि विधानसभा के उपरोक्त प्रश्न के पैरा “ख” के जवाब में “कृषकों के मांग अनुसार छ.ग. बीज निगम में बीज उपलब्ध ना होने, बीज की दर अनुमोदित ना होने अथवा बीज निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर राष्ट्रीय बीज निगम से खरीदी की गई है। छ. ग. बीज निगम से दरें अनुमोदित कराने एवं निविदा आमंत्रित करने की कार्यवाही का काम संचालक, कृषि एवं संबंधित विभागीय अधिकारियों का है। लेकिन जानबूझकर दरों को अनुमोदित नहीं कराया गया। और निजी कंपनियों को राष्ट्रीय बीज निगम के माध्यम से करोड़ों रूपये का लाभ पहुँचाया गया। इस तरह विभागीय अधिकारियों द्वारा विभाग एवं छत्तीसगढ़ शासन को अत्यधिक आर्थिक क्षति पहुँचायी गई। कृषि विभाग की जिला अधिकारियों द्वारा छ.ग. बीज निगम में बीज उपलब्ध न होने एवं राष्ट्रीय बीज निगम से खरीदी हेतु शासन से कोई निर्देश एवं परिपत्र जारी न होने की स्थिति में संचालक कृषि अथवा शासन से अनुमति प्राप्त कर राष्ट्रीय बीज निगम से खरीदी की जानी चाहिए थी, जो नहीं की गई। यह जांच का विषय है। इसके अलावा विधानसभा में बताया गया कि नियम विरूद्ध बीज क्रय करने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। इस कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई। जवाब से स्पष्ट होता है, कि कोई शिकायत करें तभी भ्रष्टाचार की जांच होगी अथवा नहीं, इस हेतु विभाग के सक्षम अधिकारी स्वतः संज्ञान लेकर जांच कर कार्रवाई कर सकते थे, जो नहीं किया गया। इससे स्पष्ट है, कि अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार किया गया है। जिसमें संचालक एवं अन्य अधिकारी प्रथम दृष्टया सम्मिलित होना प्रतीत होता है।

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