डोंगरगढ़। (Dogargarh’s bloody ropeway) डोगरगढ़ का खूनी राेपवे की चाल और ढाल में आखिर कब बदलाव आएगा। इसके संचालन कंपनी जिम्मेदार हैं, या हादसे का शिकार होने वाले। हाल ही में 24 अप्रैल को हुए रोपवे हादसे (Ropeway accident happened on 24th April) का शिकार हो गया था। इसमें भाजपा के नेता घायल हो गए थे। इसके पूर्व भी दो हादसे हुए थे, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी, उस दौरान भी प्रशासन पर दबाव डालकर सच को न सामने आ दिया और न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय हो पाई। ये हैं सिस्टम। हादसे के 22 दिन बाद डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर का रोपवे एक बार फिर शुरू कर दिया गया है. तकनीकी सुधार और सुरक्षा जांच की औपचारिकताओं के बाद संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी हवा में झूल रहा है कि आखिर ट्रॉली पलटी क्यों? और गलती किसकी थी?
हादसे के वक्त बीजेपी प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा समेत कई लोग ट्रॉली में सवार थे. जैसे ही ट्रॉली स्टेशन पहुंची, वह अचानक पलट गई. भरत वर्मा गंभीर रूप से घायल हुए और अब भी रायपुर के अस्पताल में उनका इलाज जारी है. घटना के बाद प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए रोपवे बंद करवा दिया, जांच के आदेश दिए, एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन 22 दिन बीत जाने के बाद भी कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि हादसे की असली वजह क्या थी.
22 दिन बाद भले ही रोपवे दोबारा शुरू हो गया हो, लेकिन जनता के मन में डर और सवाल दोनों अब भी जिंदा हैं. हादसे के बाद जो सुधार किए गए, वे तकनीकी होंगे मगर सिस्टम में जो सुस्ती और जिम्मेदारी से भागने की आदत है, उसमें सुधार कब होगा? बहरहाल डोंगरगढ़ का रोपवे तो फिर से चल पड़ा है पर क्या इंसाफ की ट्रॉली अब भी कहीं अटकी हुई है?।
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