‘अरुण’ ने जगाई आस

अब ऐसा लग रहा है कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) अपने जादुई केंद्रीय नेतृत्व की भौतिक उपस्थिति के बिना भी, राज्य में कांग्रेस की भूपेश सरकार से टकराने की स्थिति में आती जा रही है।

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  • Updated On - March 24, 2023 / 02:10 PM IST

अब ऐसा लग रहा है कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) अपने जादुई केंद्रीय नेतृत्व की भौतिक उपस्थिति के बिना भी, राज्य में कांग्रेस की भूपेश सरकार से टकराने की स्थिति में आती जा रही है। पिछले दिनों मोर आवास मोर अधिकार आंदोलन को मिली सफलता से प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव (State President Arun Saw) का पार्टी में कद तो बढ़ा ही है साथ ही पार्टी के भीतर उनसे कन्नी काट कर चल रहे पुराने सत्ताई रहनुमा भी सांसत में हैं, क्योंकि यह आंदोलन उनके लिए एक तरह से अंतिम सन्देश था कि अब आगे भी इसी छतरी के नीचे ना केवल खड़े होना है बल्कि साथ में चलना भी है। इस आंदोलन की सफलता के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से दिल्ली में लम्बी मुलाकात की। इन दोनों ताकतवर नेताओं से अरुण साव का मिलना इस बात का सूचक है कि प्रदेश में जो होगा वो इन बड़े नेताओं की मर्जी से और उनकी जानकारी में होगा।

पार्टी का यह फरमान इतना कारगर साबित हुआ कि पिछली पंद्रह मार्च को हुए आन्दोलन में डॉक्टर रमन सिंह से लेकर अजय चंद्राकर तक सब के सब आंदोलन में पार्टी धर्म निभाते दिखाई दिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई ने अपने बुते पर यह आंदोलन किया इस आंदोलन में राष्ट्रीय स्तर का कोई नेता शामिल नहीं हुआ यहां तक कि प्रदेश भाजपा के प्रभारी अजय जामवाल, ओम माथुर और नितिन नबीन ने भी कार्यालय में रहकर इस आंदोलन से दुरी बनाए रखी मतलब खुद पीछे रहे और स्थानीय नेतृत्व को आगे किया। ओ पी चौधरी जितने सक्रीय दिखे उतने ही बृजमोहन भी।

मतलब यह निकाला जा सकता है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में नई लीडरशिप को तैयार भी कर रहा रहा है और उसमें हौसले की ऑक्सीजन भी डाल रहा है। बीते पंद्रह सालों में सत्ता में रहे, कद्दावर भाजपाइयों के लिए यह एक ताकीद भी है कि नए नेतृत्व के साथ चलो और अपना राजनीतिक भविष्य भी पार्टी के हवाले कर दो क्योंकि अब पार्टी ही बहुतों की राजनीतिक जिम्मेदारी खुद तय करेगी, जो उन्हें पसंद आये या नहीं। कुल मिलकर भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में नई उदीयमान पीढ़ी उम्मीदों से भरी दिख रही है वहीं लम्बे समय से सत्ता और संगठन में दमदारी दिखाने वाले भाजपा नेता भी ख़म ठोकने की हालत में नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में जीता हुआ और हारा हुआ कोई भी भाजपा नेता भरोसे के साथ यह नहीं कह सकता कि वह आने वाले चुनाव में पार्टी का प्रत्याशी होगा। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी का संगठन ऐसा कोई इशारा भी नहीं कर रहा कि किसकी किस्मत खुलने वाली है और किसका डिब्बा गुल होने वाला है और तो और विधानसभा के चुनावों में टिकिट वितरण का फार्मूला क्या होगा। इसकी भी किसी को भनक नहीं है। प्रदेश और जिला कार्यालयों में बैठकों का दौर चल रहा है। राज्य सरकार को घेरने पर विमर्श हो रहा है।

नए आंदोलन की रुपरेखा बन रही है। लेकिन टिकिट और प्रत्याशी के मसले पर भाजपा संगठन खामोश है। बस एक ही टास्क कि सब लगे रहो। मोदी शाह की भाजपा में यह कहा जाता है कि पार्टी क्या करने वाली है। आप इसका केवल कयास लगा सकते हैं लेकिन क्या होने वाला है यह केवल इन दोनों नेताओं को ही पता होता है। भाजपा के भीतर भी कुछ लोग मौजूदा गतिविधियों से संतुष्ट नहीं हैं। इनका मानना है कि जितने प्रयास अभी दिख रहे हैं, वो भूपेश बघेल को पराजित करने के लिए नाकाफी हैं। लेकिन इन लोगों को यह भी मानना होगा कि मोदी शाह की भाजपा निगमों के चुनावों को भी हल्के में नहीं लेती तो फिर यह तो उस राज्य की विधानसभा का चुनाव है। जहां उसने पंद्रह साल राज किया है। दरअसल, भाजपा चुनावी राजनीति की नई नई इबारतें गढ़ रही है। और इस नई इबारत में खुद को मजबूत करने के साथ साथ विरोधी को कमजोर करने और उसके आत्मविश्वास को हिला के रख देना भी शामिल है।बहरहाल अभी तो शुरुआत हुई है। चुनाव नजदीक आते आते भाजपा को भी बहुत सारी भीतरी चुनौतियों से दो चार होना पड़ेगा। बदलाव चाहना और उसे लाना दोनों में अंतर होता है और भाजपा इसे बखूबी जान रही है इसीलिए उसके कदम बहुत सधे हुए उठ रहे हैं।

लिकर का लॉजिक

भाजपा के ज़माने में छत्तीसगढ़ ने शराब की खपत के मामले में देश में दूसरा स्थान हासिल किया था। जिसे बतौर उपलब्धि छत्तीसगढ़ ब्रेवरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष ने पत्रवार्ता में ऐसे बताया जैसे देश में सबसे ज्यादा दारू पिलाकर कोई तीर मार दिया हो। भाजपा सरकार के ज़माने में शराब के राजस्व को बुलंदी पर पहुंचाने की होड़ मची थी। जिसे कांग्रेस ने राज्य में बड़ा मुद्दा बनाया। इतना बड़ा, कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता रहे आरपीएन सिंह ने कई कांग्रेसी दिग्गजों के साथ गंगा जल उठाकर सौगंध खा ली कि उनकी सरकार आई तो समझो आते ही शराब बंद। सरकार तो आई लेकिन गंगा जल उठाने वाले आरपीएन सिंह ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए लेकिन उनके साथ और भी प्रदेश के बड़े नेताओं ने गंगाजली उठाई थी। वो कैसे इस वचन से पीछे हट सकते हैं पूरे पांच साल बीत गए एक बार फिर चुनाव और शराब सामने हैं। सरकार ने एक अध्ययन समिति बनाई उसने शराब को लेकर रिपोर्ट दी पर हुआ कुछ नहीं और होगा भी कुछ नहीं, सरदार अंजुम की नज़्म है ना शराब चीज ही ऐसी है ना छोड़ी जाए। ये मेरे यार के जैसी है ना छोड़ी जाए सरकारें आती जाती रहती हैं लिकर स्थाई भाव की तरह बना रहता है। हांलाकि विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष रहे और अब पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश त्रिवेदी कहते हैं कि गंगाजल की सौगंध किसानों का कर्ज़ माफ़ करने के लिए ली गई थी लेकिन भाजपा ने इसका दुष्प्रचार किया। जबकि शराबबंदी पर सरकार गंभीर है।

खालिस्तान की आंच पहुंच ही गई

खालिस्तान की आग में झुलस रहे पंजाब से निकल आखिरकार खालिस्तान की आंच छत्तीसगढ़ पहुंच ही गई। कल राजधानी रायपुर में सिक्ख समाज के कुछ लोगों ने खालिस्तान के समर्थन में रैली निकाल दी जिसकी पुलिस को भनक तक नहीं लगी. अलगाव का यह नज़ारा रायपुर के लिए चौंकाने वाला था. इस घटना के तुरंत बाद सिक्ख समाज ने इस रैली से खुद को अलग कर लिया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सख्त कार्रवाई का सन्देश दे दिया। खालिस्तान को लेकर पंजाब के आलावा विदेशी धरती पर प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन भारत के किसी राज्य में खालिस्तान के समर्थन में रैली नहीं निकली संभवतः छत्तीसगढ़, पंजाब के बाद पहला राज्य होगा। जहां सिक्ख समाज ने पृथक खालिस्तान का समर्थन किया है। यह मामूली बात तो कतई नहीं हो सकती। मुख्यमंत्री बघेल ने सदन में कार्रवाई की बात कही और शाम होते-होते खालिस्तानी समर्थक गिरफ्तार भी हो जाते है।

इधर, देर शाम बीजेपी के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने इनमें एक खालिस्तानी समर्थक के तार कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और यहां छत्तीसगढ़ के विधायक और मेयर के साथ फोटो होने की एक सीरीज ही जारी कर दी। इससे सियासी हलके में एक बार फिर एक नए मुद्दे ने जन्म दे दिया है। बहरहाल, अब इसकी क्या सच्चाई है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।