नई दिल्ली/रायपुर, 25 जुलाई। देश में अंगदान और प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में बीते कुछ वर्षों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, लेकिन इसे और प्रभावी बनाने के लिए व्यापक जनजागरूकता की जरूरत बताई जा रही है। इसी विषय को लेकर लोकसभा में भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल (Brijmohan Agrawal) ने एक गंभीर सवाल उठाया। उन्होंने सरकार का ध्यान अंगदान और ऊतक बैंकों की व्यवस्था की ओर आकर्षित किया और देशभर में जनजागरण अभियान चलाने की मांग की।
लोकसभा में शुक्रवार को पूछे गए प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि देश में अंगदान करने वाले लोगों की संख्या में बीते पांच वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2020 में जहां लगभग 6,812 लोगों ने अंगदान किया था, वहीं वर्ष 2024 में यह संख्या बढ़कर लगभग 17,000 तक पहुँच गई है। इसी तरह, अंग प्रत्यारोपण की संख्या भी 2020 में 7,443 से बढ़कर 2024 में 18,910 तक पहुँच गई है। यह आंकड़े अंगदान को लेकर समाज में बढ़ती जागरूकता को दर्शाते हैं।
मंत्री जाधव ने बताया कि अंगदान और प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार कार्य कर रही है। इसके लिए राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO), क्षेत्रीय संगठन (ROTTO) और राज्य स्तरीय संगठन (SOTTO) सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। इन संस्थाओं के माध्यम से अंगदान से जुड़ी नीतियों का क्रियान्वयन, समन्वय और निगरानी की जाती है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि दान किए गए अंगों को पुनः प्राप्ति (retrieval) के बाद तुरंत प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए, क्योंकि अंगों को लम्बे समय तक संरक्षित नहीं रखा जा सकता। जबकि केवल ऊतकों को ऊतक बैंकों में संग्रहित किया जाता है और उनका बाद में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देशभर में विभिन्न राज्यों द्वारा जरूरत के अनुसार ऊतक बैंक स्थापित किए गए हैं। ये सभी बैंक मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के तहत पंजीकृत हैं।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जनता में अंगदान को लेकर अब भी जागरूकता की कमी है। बहुत से लोग अंगदान के महत्व और प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि देशभर में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि अधिक से अधिक लोग स्वेच्छा से अंगदान कर सकें और ज़रूरतमंद लोगों को नया जीवन मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि केवल नीति बनाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर इसके लिए ठोस क्रियान्वयन और सूचना प्रचार ज़रूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संस्थाओं और स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से इस विषय में नियमित जानकारी दी जाए।