नवरात्र में नारी शक्ति की मिसाल बनी बालोद की महिला कमांडो, चला रही हैं ‘नवजागरूकता की पाठशाला’ अभियान

अपने कार्यों से विशेष पहचान बना चुकी बालोद जिले की महिला कमांडो इस चैत्र नवरात्र को खास बनाने में जुटी हुई हैं। नवरात्र के

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  • Updated On - April 3, 2025 / 09:53 PM IST

बालोद (छत्तीसगढ़), 3 अप्रैल (आईएएनएस)। अपने कार्यों से विशेष पहचान बना चुकी बालोद जिले की महिला कमांडो(female commando) इस चैत्र नवरात्र को खास बनाने में जुटी हुई हैं। नवरात्र के नौ दिनों तक ‘नवजागरूकता की पाठशाला’(‘School of New Awareness’) अभियान के तहत महिला कमांडो लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह मुक्त बालोद बनाने के साथ-साथ नशामुक्ति, जल संरक्षण, सड़क सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण और सरकारी योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचाना है।

महिला कमांडो की प्रमुख और पद्मश्री शमशाद बेगम ने बताया कि नवरात्रि के दौरान इस विशेष अभियान के तहत बाल विवाह रोकने के लिए महिलाओं की टीम घर-घर जाकर माता-पिता से संपर्क कर रही है। वे बच्चों की उम्र पूछकर उन्हें यह समझा रही हैं कि बेटियों की शादी 18 साल और बेटों की शादी 21 साल की उम्र पूरी होने के बाद ही होनी चाहिए। इस तरह महिला कमांडो बाल विवाह की रोकथाम के लिए पहले से ही सक्रिय हो गई हैं।

इसके साथ ही गांव-गांव में नशामुक्ति अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें लोगों को शराब और अन्य नशे से दूर रहने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा जल संरक्षण के लिए सोखता गड्ढों के निर्माण को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि भूजल स्तर को बनाए रखा जा सके।

ग्राम पापरा की महिला कमांडो सदस्य देवकी गोस्वामी ने बताया कि नवरात्रि में नशा मुक्ति अभियान चला रहे हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं कि कोई शराब नहीं पिए। हम लोग गाय के गले में रेडियम बेल्ट भी पहना रहे हैं, ताकि रात के समय वह दुर्घटना का शिकार न हो।

महिला कमांडो की टीम लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति भी जागरूक कर रही है। हेलमेट पहनने, तेज रफ्तार से वाहन न चलाने और नशे की हालत में गाड़ी न चलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके साथ ही महिला साक्षरता और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया जा रहा है।

इस अभियान से जुड़ी देवकी गोस्वामी, सरस्वती देशमुख और यामिनी देशमुख जैसी महिला कमांडो पूरे जोश के साथ इस मुहिम का हिस्सा बन रही हैं। वे कहती हैं कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के इस प्रयास का हिस्सा बनकर उन्हें गर्व महसूस हो रहा है।

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