छत्तीसगढ़। सियासत के गलियारे में (Reservation) आरक्षण बिल पर मची रार अभी शांत नहीं होने वाली। क्योंकि राज्यपाल का रूख कुछ भी तय नहीं है। पहले उन्होंने से 10 सवाल सरकार को भेजे, फिर जवाब आ गया तो विधिक सलाहकार के पाले में राजभवन में गेंद डाल दिए। जिस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने राज्यपाल के रवैए को लेकर नाराजगी जताई है।
उन्होंने कहा कि भाजपा और राजभवन की ओर से जानबूझकर आरक्षण विधेयक अटका रहे हैं। इससे प्रदेश के युवाओं, सामाजिक वर्गों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने बेमेतरा में भेंट मुलाकात में जाने से पूर्व यह बातें मीडिया से कही। कहा कि अब तक आरक्षण विधेयक राजभवन से हस्ताक्षर के बाद हमारे पास नहीं आया है। अब राज्यपाल के पास तीन विकल्प हैं… या तो वो विधेयक वापस करें यदि संतुष्ट नहीं हैं तो, दूसरा कि राष्ट्रपति को भेज दें, या फिर अनंतकाल तक अपने पास रखें, जब तक वो राज्यपाल है तब रख सकती हैं अपने पास। हमसे जो सवाल पूछे गए थे हम जवाब दे चुके हैं जबकि वो संवैधानिक नहीं था।
एकात्म परिसर में बैठने वाले विधिक सलाहकार, प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत से बड़े कैसे हो सकते हैं? pic.twitter.com/l1M8sGrLZG
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 28, 2022
भूपेश बघेल ने कहा- राज्यपाल को संतुष्ट नहीं होना है जो उनको जवाब देना था, जानकारी देनी थी दे दिया गया। अब संतुष्ट होना ही नहीं है, तो क्या करें, अब हो सकता है कि दूसरे सवाल पूछेंगे मतलब उनको वापस करना नहीं है , राष्ट्रपति को भेजना नहीं है, प्रश्न पूछने का बहाना है ताकि लोगों को बता सकें कि हमने सवाल पूछा है, पूछ लें मैं फिर जवाब दूंगा। मेरा सवाल भाजपा के लोगों से भी है कि राज्यपाल को विधेयक पर हस्ताक्षर करने कब कहेंगे।
बघेल ने कहा- भाजपा जनता के बीच विलन नहीं बनना चाहती थी। लेकिन पीछे के दरवाजे से राजभवन के माध्यम से आरक्षण विधेयक को रोक रही है, भाजपा कभी प्रदेश के लोगों का हित चाहती। न आदिवासी न किसान, न बच्चों, न महिलाओं न मजदूरों किसी का नहीं। १५ साल में हमने देखा है। सारे सार्वजनिक उपक्रम बेच रहे हैं, उन जगहों पर कर्मचारी की जरुरत पड़ती आरक्षण का लाभ मिलता, मगर सब प्राइवेट कर रहे हैं। भाजपा आरक्षण खत्म करने का खेल चला रही है।
ये लगातार तीसरा दिन है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभवन के विधिक सलाहकार को भाजपा से जुड़ा बता दिया। अपने बयान में उन्होंने कहा-आरक्षण विधेयक विधानसभा में सभी दल के लोगों की सहमति से पास हुआ है, इससे बड़ा और क्या होगा, कोई दिक्कत कोर्ट आएगी तो हम लड़ने को तैयार हैं और कोर्ट की वजह से ही तो क्वांटिफायबल डाटा आयोग बनाया और उसके आधार पर आरक्षण लागू करने विधेयक आया। इसके बाद किसी को शक नहीं हो चाहिए, मगर विधिक सलाहकार को शक होने लगा, जो एकात्म परिसर भाजपा के कार्यालय में बैठता है, उसको विश्वास नहीं है, सवाल उठा रहे मतलब डीले करना चाह रहे हैं।
हम सबको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यकर्ता होने पर गर्व है। #CongressFoundationDay pic.twitter.com/aYVa8pLg3k
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