रायपुर। कांग्रेस को बीजेपी ने आज सतनामी समाज के धर्म गुरू बाल दास (Bal Das Satnami Samaj) को इंट्री कराकर बड़ा झटका दिया है। आज बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश माथुर सहित अन्य बड़े नेताओं की मौजूदगी में उन्होंने भाजपा में प्रवेश (Entry in BJP) किया। इनके साथ गुरु बालदास के साथ ही उनके पुत्र गुरू खुशवन्त दास, आसंभ दास, गुरु द्वारिका दास, गुरु सौरभ दास, श्रीमती लमीक्षा गुरु डहरिया, नपा अध्यक्ष देवराज जांगड़े, जनपद सदस्य, श्रीमती दिनेश्वरी यशवंत टंडन, जनपद सदस्य विनोद साहु ने आज कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में समर्थकों के साथ भाजपा प्रवेश किया। भाजपा प्रवेश के साथ ही गुरु बाल दास ने अपने बेटे गुरू खुशवन्त दास के लिए आरंग सीट से टिकट की दावेदारी भी पेश कर दी है। बता दें कि खुशवन्त दास को कांग्रेस सरकार ने औषधि एवं पादप बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया था। हालांकि इससे वे संतुष्ट नहीं थे।
मीडिया से चर्चा करते हुए गुरु बालदास ने कहा कि कांग्रेस में सामाजिक तौर पर उनकी बहुत उपेक्षा हुई हैं। उनके साथ भेदभाव किया गया। वहीं समाज के उत्थान के लिए कुछ भी नहीं किया गया । उन्होंने कहा कि भाजपा में सम्मान मिला तो इधर आ गए। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनके बेटे गुरु खुशवंत साहेब ने आरंग विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के लिए दावेदारी की है। बता दें कि गुरु घासीदास के वंशज धर्मगुरु बालदास अभा सतनाम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और भंडारपुरी पीठ सहित कई धर्मस्थलों के प्रमुख है। उनका सतनामी समाज में खासा प्रभाव है। माना जा रहा है कि गुरु बालदास के इस कदम से कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो सकता है।
गुरू बालदास ने 2013 में सतनाम सेना के प्रत्याशी उतारे थे। इसके कारण कांग्रेस केवल मस्तूरी ही जीत पाई थी और भाजपा का नौ सीटों पर कब्जा हुआ था। इसके कारण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता साजा से रविंद्र चौबे, कवर्धा से मोहम्मद अकबर, राजिम से अमितेश शुक्ल, लोरमी से धर्मजीत सिंह चुनाव हार गए थे। सतनामी समाज के एक और गुरु रुद्र कुमार पहले से कांग्रेस में हैं वे वर्तमान में अहिवारा से विधायक हैं।
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 2018 में अपने पुत्र सुखवंत साहेब के साथ गुरु बालदास ने कांग्रेस प्रवेश किया था। लेकिन सरकार बनने के बाद से गुरु बालदास और कांग्रेस के बीच पहले जैसा नहीं रह गया इसलिए समाज के बड़े नेता और धर्मगुरू के भाजपा प्रवेश को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थी। दरअसल छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 10 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 7 पर कांग्रेस, दो में भाजपा और एक सीट पर बसपा के विधायक हैं।
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