छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों का आरक्षण खत्म होने की जानकारी सामने आने के बाद राजनीतिक टकराव बढ़ गया है। भाजपा ने सरकार पर इस मामले में जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। वहीं कांग्रेस ने आरक्षण खत्म होने की स्थिति पैदा करने में भाजपा को गुनहगार ठहराया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कहा, 19 सितंबर को उच्च न्यायालय के आदेश से अधिसूचना रद्द होने के बाद से ही सरकार जानती थी सारे वर्गों का आरक्षण शून्य हो चुका है। उसके बाद भी कभी कोर्ट का बहाना करके तो कभी और कुछ बहाना कर यहां के सारे आरक्षित वर्गों के साथ अन्याय करती रही। अब सरकार ने ही सूचना के अधिकार के तहत दिए अपने पत्र में यह मान लिया है कि छत्तीसगढ़ में किसी का भी आरक्षण नहीं है। ठाकुर ने कहा, छत्तीसगढ़ की जनता को भ्रामक जानकारी देने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं ओबीसी वर्ग से माफी मांगे।
जवाब में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने आरक्षण खत्म होने की स्थिति पैदा होने के लिए भाजपा को गुनहगार कहा है। ठाकुर ने कहा, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने आरक्षण के मसले को ठीक ढंग से न्यायालय में नहीं रखा। आदिवासी नेता ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में बनाई गई समिति और सरजियस मिंज की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट भी अदालत में पेश नहीं की गई। कांग्रेस सरकार ने उन रिपोर्ट को अदालत में रखने की कोशिश की जिसे अदालत ने यह कहकर स्वीकार नहीं किया कि पहले कभी इन रिपोर्ट का जिक्र तक नहीं आया है। यह मामला 2012 में कोर्ट पहुंचा था। तबसे 2018 तक भाजपा की ही सरकार थी। ठाकुर ने कहा, असल मायने में भाजपा आरक्षण और आदिवासी वर्ग की विरोधी है। पूरे प्रदेश का आदिवासी समाज भाजपा के आदिवासी विरोधी चरित्र को 15 साल तक देख चुका है।