BJP ने ‘Twitter’ पर उड़ाए ‘कांग्रेसी’ गुब्बारा!, पढ़ें, पूरा ‘सियासी’ माजरा

By : madhukar dubey, Last Updated : May 2, 2023 | 4:40 pm

छत्तीसगढ़। सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण (Supreme Court Reservation) पर फैसले के बाद बीजेपी भूपेश और कांग्रेस पर हमलावार है। अपने ट्विटर पर पोस्टर वार छेड़ रखा है। बता दें, हाई कोर्ट ने 58% आरक्षण (58% reservation) पर रोक लगाई थी। इसे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया ,अब इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने है। भाजपा का दावा है कि उनके शासनकाल में ही व्यवस्था लागू हुई जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सही बता दिया। दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि भाजपा की लापरवाहीयों की वजह से आरक्षण रुका रहा वह तो कांग्रेस की कोशिश थी जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने रोक हटाई। दोनों दल के ही नेता एक-दूसरे पर अब तीखे सियासी तीर छोड़ रहे हैं। इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि कांग्रेसियों द्वारा लगवाई गई अनुसूचित जनजाति आरक्षण पर रोक हटना भाजपा की वैचारिक जीत है।

चंदेल ने कहा कि भाजपा शासनकाल में अनुसूचित जनजाति को 32 फ़ीसदी आरक्षण दिया गया जो भाजपा की सरकार रहते हुए सुरक्षित रहा। लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद अनुसूचित जनजाति का हक छीनने के लिए कांग्रेसी हाई कोर्ट चले गए। अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध हाई कोर्ट जाने वालों को सरकार ने उपकृत किया। यह सरकार नहीं चाहती कि अनुसूचित जनजाति को उनका अधिकार मिले। इसलिए अपने लोगों को हाई कोर्ट भेजा और 32 फ़ीसदी आरक्षण को बचाए रखने के लिए सरकार की ओर से कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। ताकि अनुसूचित जनजाति का हक छीना जा सके। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी अनुसूचित जनजाति के हक की बहाली के लिए कांग्रेस की सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई। वह सिर्फ तारीखें बढ़वाने में समय बर्बाद करती रही। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर भाजपा सरकार द्वारा लागू आरक्षण नीति को बहाल किया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत और अनुसूचित जनजाति के संघर्ष की जीत है।

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि कांग्रेस आरक्षण के नाम पर केवल राजनीतिक पैंतरेबाजी दिखा रहे हैं। यदि वह छत्तीसगढ़ के सभी वर्गों को उचित आरक्षण दिलाने की मंशा रखते तो फिर क्वान्टिफायबल डाटा आयोग की रपट क्यों दबा कर रखी गई है। यह रिपोर्ट न तो सदन में रखी गई और न ही राज्यपाल को भेजी गई। जबकि आरक्षण विधेयक का आधार ही इसी डाटा आयोग की रपट को बताया जा रहा है। कांग्रेस आरक्षण के नाम पर केवल भ्रम फैलाने का काम कर रही है।

कांग्रेस सरकार 76 प्रतिशत आरक्षण देने को प्रतिबद्ध

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण की बहाली का कांग्रेस ने स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से राज्य में रुकी भर्तियां फिर से शुरू हो सकेंगी। यह निर्णय लक्ष्य नहीं है अंतिम लक्ष्य तो आरक्षण संशोधन विधेयक के लागू होने के बाद ही मिल सकेगा। कांग्रेस सरकार ने राज्य के सर्वसमाज के हित में विधानसभा में सर्वसम्मति से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर राज्यपाल के पास भेजा है। आरक्षण संशोधन विधेयक पिछले 4 महिने से राजभवन में लंबित पड़ा है लेकिन राजभवन उस पर कोई निर्णय नहीं ले रहा जिसके कारण प्रदेश के आरक्षित वर्ग के लोगों को उनका हक नहीं मिल रहा है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार ने यदि 2012 में बिलासपुर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये गये मुकदमे में सही तथ्य रखे होते तथा 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के समय दूसरे वर्ग के आरक्षण की कटौती के खिलाफ निर्णय नहीं लिया होता तब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 58 हो ही रही थी तो उस समय उसे 4 प्रतिशत और बढ़ा देते सभी संतुष्ट होते कोर्ट जाने की नौबत नहीं आती और न आरक्षण रद्द होता। आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में मंत्री मंडलीय समिति का भी गठन किया था। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई गयी थी। रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था। रमन सरकार की बदनीयती से यह स्थिति बनी थी।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी थी। मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी जैसे नामी वकील आदिवासी आरक्षण का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा। कांग्रेस आदिवासी समाज के हितो के लिये पूरी कानूनी लड़ाई लड़ा। इसका परिणाम सामने आया है।

76% आरक्षण विधेयक भी कांग्रेस सरकार ने राजभवन भेजा लेकिन भाजपा के षड़यंत्रों के कारण उस पर हस्ताक्षर नहीं हो रहा है। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को उनकी जनगणना के आधार पर तथा पिछड़ा वर्ग को क्वांटी फायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को भी 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 76 प्रतिशत का आरक्षण सभी वर्गों की आबादी के अनुसार निर्णय लिया है। यह विधेयक यदि कानून का रूप लेगा तो हर वर्ग के लोग संतुष्ट होंगे। सभी वंचित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने सामाजिक न्याय को लागू करने यह विधेयक बनाया गया है। जिस पर राजभवन से शीघ्र हस्ताक्षर होना चाहिये।