नईदिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव(Haryana Assembly Elections) के नतीजों में भाजपा(BJP) ने पूरे देश को चौंकाते हुए भारी बहुमत की ओर अग्रसर हो गई है। फिलहाल, शाम तक बजे तक मिले ताजा आंकड़ों में भाजपा ने 49 सीटें पाकर हैट्रिक लगाते हुए सरकार बनाने जा रही है। वहीं कांग्रेस 36 सीटों के साथ पिछड़ती नजर आ रही है। हालांकि अभी अंतिम नतीजों के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी, लेकिन मौजूदा स्थिति के आधार पर कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारणों की चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के पीछे जो सबसे प्रमुख वजह सामने आ रही हैं, उनमें से एक राज्य में पार्टी के चेहरे पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के बीच के मतभेद भी हैं। हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा सीएम पद के दावेदार की रेस में थे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के 2023 विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के हार की वजह गुटबाजी ही थी। इसके पीछे कारण थे कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जब जीत मिली थी तो उस समय भूपेश बघेल को सीएम तो कांग्रेस के दूसरे कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव को ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय हुआ था। लेकिन किंही कारणवश ऐसा नहीं हुआ ऐसे में पांच साल बाद हुए चुनाव में उसकी नाराजगी और विधायकों सहित कार्यकर्ता गुटों में बंट गए। लेकिन ये भी सच है कि भाजपा के द्वारा उठाए गए भ्रष्टाचार के मुद्दे ने भी कांग्रेस को छत्तीसगढ़ की सत्ता से बेदखल कर दिया था। कुछ यही हाल हरियाणा में भी रहा।
वैसे अब चुनाव के नतीजों पर कुमारी शैलजा ने कांग्रेस के अंदर किसी गुटबाजी को इंकार करते हुए उल्टा बीजेपी को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि ये चुनावी परिणाम भाजपा का खेल है। हरियाणा में कुमारी शैलजा और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा दोनों ही सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे। यही वजह है कि दोनों नेताओं के बीच खटपट की खबरें अक्सर सुर्खियां बनती रही हैं।
भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा के प्रमुख जाट नेता हैं और बीते कई वर्षों से वह हरियाणा में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी भूपेंद्र हुड्डा का चेहरा ही आगे था, लेकिन उसमें कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि इस बार हरियाणा में कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में भूपेंद्र हुड्डा शामिल तो हैं, लेकिन पार्टी ने अन्य नेता भी सीएम पद की रेस में बने हुए हैं, और इनमें सबसे प्रमुख चेहरा कुमारी शैलजा का है। कुमारी शैलजा हरियाणा में दलित राजनीति का प्रमुख चेहरा हैं। साथ ही वह पांच बार सांसद रह चुकी हैं और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं।
कुमारी शैलजा ने चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे संकेत दिए थे कि उनका नाम उन नेताओं में शामिल हैं, जिनके नाम पर पार्टी आलाकमान सीएम पद के लिए विचार कर सकता है। मतगणना से पहले कुमारी शैलजा ने पार्टी आलाकमान से मुलाकात भी की थी। वहीं कुमारी शैलजा के सीएम पद पर दावे को लेकर भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था ‘लोकतंत्र में हर किसी का सीएम पद पर अधिकार है, लेकिन सीएम चुने जाने की एक प्रक्रिया है, जिसमें विधायक अपना विचार देते हैं। उसके बाद पार्टी आलाकमान तय करता है।
चुनाव के दौरान भी हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी देखने को मिली थी। पार्टी आलाकमान को भी इसकी खबर थी, यही वजह है कि राहुल गांधी की एक रैली में जब भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा मंच पर मौजूद थे तो राहुल गांधी ने दोनों के हाथ एक साथ उठाकर मतदाताओं के बीच एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की थी। कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी को देखते हुए पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने तो चुनाव प्रचार के दौरान कुमारी शैलजा को भाजपा में शामिल होने का ऑफर तक दे दिया था। खट्टर ने कहा था कि कांग्रेस में दलितों का अपमान हुआ है और शैलजा को अपशब्दों का सामना करना पड़ा है। अब वे घर बैठी हैं। यदि शैलजा बीजेपी में आती हैं तो वे उनके स्वागत के लिए तैयार हैं। अब तक के रुझानों से स्पष्ट है कि कांग्रेस को गुटबाजी भारी पड़ी है।