रायपुर। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा (BJP Scheduled Tribe Morcha) के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने बताया कि प्रदेश में 9 जून से आदिवासी पुरखौती सम्मान यात्रा (Adivasi Purkhauti Samman Yatra) का प्रारंभ होगा। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के महापुरुषों के आदर्शों को गांव-गांव में प्रचारित करना, लोगों के हृदय में शहीदों की सोच और भावनाओं के प्रति सम्मान एवं आभार का भाव उत्पन्न करना आदिवासी पुरखौती सम्मान यात्रा का उद्देश्य है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी पुरखौती सम्मान यात्रा केवल कार्यक्रम नही बल्कि वक्त की जरूरत है। जिस छत्तीसगढ़ का स्वप्न देखकर हमारे आदिवासी नायकों ने अपनी बलिदानी देकर अपना सर्वस्व न्योछावर किया था, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने उस छत्तीसगढ़ का सर्वनाश कर दिया है।
शहीद वीर नारायण सिंह ने भूखों का पेट भरने के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया और अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। भूपेश सरकार गरीबों के निवाले तक छीन रही। केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के सैंकड़ों करोड़ का चावल घोटाला भूपेश सरकार कर चुकी है।
शहीद गुण्डाधुर और शहीद गेंद सिंह ने आदिवासी संस्कृति के लिए अपनी बलिदानी दे दी थी। भूपेश सरकार मिशनरियों के माध्यम से आदिवासियों की मूल संस्कृति को खत्म करने पर तुली है। प्रदेश सरकार की नाकामी के कारण आज पूरे बस्तर संभाग में मूल आदिवासियों और मतांतरित आदिवासियों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है।
संत गहिरा गुरु एवं माता राजमोहनी देवी ने सामाजिक चेतना, उत्थान और शराबबंदी के लिए अपना जीवन खपा दिया, आज भूपेश सरकार ने उसी समाज को नशा और अपराध के आगोश में झोंक दिया है। पूरे प्रदेश में शराबबंदी का वादा करके आई इस कांग्रेस सरकार ने गांव गांव में शराब बिक्री के तंत्र विकसित कर दिए हैं। सुदूर वनांचलो में आज हत्या, दुष्कर्म, भूख बेरोजगारी जैसे मामले बढ़ गए है।
विकास मरकाम ने कहा कि क्या यही छत्तीसगढ़ था जिसके लिए हमारे शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी? क्या यही बस्तर था जिसके लिए शहीद गुण्डाधुर जी ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था? क्या यही अपराधग्रस्त सरगुजा का स्वप्न आदरणीय माता राजमोहनी देवी और संत गहिरा गुरुजी ने देखा था? हम गांव गांव जाकर लोगों शहीदों, महापुरुषों छत्तीसगढ़ के स्वप्न और आदर्शों के बारे में बताएंगे।
आदिवासी पुरखौती सम्मान यात्रा का आरंभ 9 जून को शहीद वीर नारायण सिंह की जन्मस्थली सोनाखान से प्रारंभ होकर बसना, बागबाहरा होते हुए गरियाबंद, सिहावा, नगरी, धमतरी, अभनपुर, पाटन होते हुए कुम्हारी, जयस्तंभ चौक रायपुर में समापन होगा। दूसरी यात्रा शहीद गुण्डाधुर की जन्मस्थली नेतानार से प्रारंभ होकर भानपुरी, कोंडागांव,बस्तर होते हुए जगदलपुर में समापन होगा।
तीसरी यात्रा शहीद गेंदसिंह की कर्मस्थली अंतागढ़ से प्रारंभ होकर मोहला मानपुर, बालोद, चारामा होकर कांकेर में समापन होगा और चौथी यात्रा संत गहिरा गुरु के कर्मस्थली कैलाश गुफा से निकलकर पत्थलगांव, लैलूंगा, कोरबा होते हुए रायगढ़ में समापन होगा तथा 10 जून को माता राजमोहनी देवी के जन्मस्थली प्रतापपुर से निकलकर बलरामपुर होते हुए अंबिकापुर में समापन होगा।
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