न्यायधीशों का ‘विचार’ मंथन!, कहा-बच्चों को प्रेरित ‘कहानी’ सुनाकर लाएं ‘बदलाव’
By : madhukar dubey, Last Updated : March 26, 2023 | 6:36 pm
कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष गौतम भादुड़ी (Executive Chairman Gautam Bhaduri) ने कहा कि आपको बालकों के कल्याण के लिए कार्य मिला है। यह विशेष कार्य है, जिसे भगवान भी देख रहे हैं। आप के बहुत सारे दोस्त एवं परिचित होंगे जिन्हें यह मौका ही नहीं मिला है। हमें यह पुण्य अवसर मिला है इसे हमें सार्थक करना है। जिस प्रकार हम अपने बच्चों को बेहतर और खुशहाल देखना चाहते हैं, उसी प्रकार पीड़ित और अपचारी बच्चों को भी देखें, इससे मन को संतुष्टि मिलेगी।
न्यायमूर्ति भादुड़ी ने आगे कहा कि बाल संरक्षण लैंगिक उत्पीड़न के लिए एक्ट तो बना है। लेकिन उसका क्रियान्वयन हो रहा है, यह भी देखना जरूरी है। उन्होंने पंचतंत्र की एक कहानी सुनाई कि एक गरीब व्यक्ति को कुछ आटा मिल जाता है और वह सपना देखने लग जाता हैं कि वह उसे बेचकर बकरी खरीद लेगा, फिर बकरी के दूध को बेचकर धीरे-धीरे अमीर हो जाएगा। इसी समय नींद में उसका पांव आटे पर पड़ता है और आटा बिखर जाता है। ऐसा बच्चों को नहीं लगना चाहिए कि यह एक ड्रीम है। उन्होंने एक और कहानी बताया कि एक व्यक्ति को कहीं जाना था। उसने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा कि आप मुझे रास्ता बताए। स्वामी जी ने कहा कि रास्ता आपके पैरों के नीचे है जो आपको अपनी मंजिल तक ले जाएगा।
आप सभी अधिकारियों-कर्मचारियों अथवा इस सेवा से जुड़े लोगों से मेरा अनुरोध है कि आपको अवसर मिला है, आप बच्चों के संरक्षण के लिए बेहतर कार्य कर सकते हैं। न्यायमूर्ति ने बाल संरक्षण एवं लैंगिक अपराध जागरूता एवं नियंत्रण की दिशा में बेहतर कार्य के लिए प्रसन्नता जाहिर की।
कार्यशाला को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं किशोर न्याय कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी.सैम कोशी, न्यायमूर्ति श्री दीपक तिवारी, छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम, यूनीसेफ के राज्य प्रमुख श्री जॉब जकारिया ने भी संबोधित किया। छत्तीसगढ़. बाल संरक्षण आयोग के सचिव श्री प्रतीक खरे ने स्वागत भाषण दिया। आभार प्रदर्शन श्री आनंद प्रकाश वॉरियाल, सदस्य सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राध्किारण, बिलासपुर के द्वारा किया गया।
कार्यशाला में जस्टिस वक्ताओं ने कहा
कार्यशाला में जस्टिस वक्ताओं ने कहा कि एक नाबालिग जिसे यौन शोषण का शिकार बनाया गया है उसे बालिग पीड़ित से ज्यादा सुरक्षा की आवश्यकता है, क्योंकि शारीरिक उत्पीड़न, सामाजिक बहिष्कार और मानसिक उत्पीड़न का सामना करने की क्षमता बालिग व्यक्ति के मुकाबले नाबालिग में कम होती है। कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बच्चों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का संरक्षण अति महत्वपूर्ण हैं। यह मुस्कुराते हुए मासूम प्रार्थी वास्तव में हमारे समाज के हाशिये में पड़े वर्गों में से एक है। यह अक्सर यौन शोषण, पोर्नाेग्राफी, ऐसिड अटैक जैसी जघन्य अपराधों के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में हम सभी स्टैक होल्डर जो बडे़-बड़े पदों पर आसीन हैं, उनका नैतिक एवं संवैधानिक कर्तव्य है कि हम इन बच्चों की सुरक्षा एवं सम्मानित जीवन सुनिश्चित करने हेतु अथक प्रयास करें। इस अवसर पर लघु फिल्म ‘बेहद सख्त कानून है‘ और ‘सावधानी जरूरी है‘ का प्रदर्शन भी किया गया। कार्यशाला में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में किशोर न्याय बोर्ड, लैंगिक अपराधों तथा बाल संरक्षण से संबंधित लंबित प्रकरणों की संभागवार समीक्षा की गई। वरिष्ठ अधिकारियों ने बाल संरक्षण के दिशा में किये गये कार्यों की काफी सराहना की अधिकारियों ने विशेष प्राथमिकता व कर्तव्यों के साथ बालकों के भविष्य में कोई कुठाराघात न हो, ऐसे निर्णय लेने पर जोर दिया। कार्यशाला में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण, जिला एवं सत्र न्यायाधीशगण, डिस्ट्रिक्ट जज, छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्यगण सहित, वित्त विभाग की विशेष सचिव शीतल शाश्वत वर्मा, महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा, छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग, पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास और यूनिसेफ के प्रतिनिधि तथा किशोर न्यायालय बाल अधिकार संरक्षण और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी व इससे जुड़े विद्वतजन उपस्थित थे।