बस किराये का विवाद: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सरकार को दिया दो हफ्ते का समय

By : madhukar dubey, Last Updated : February 18, 2025 | 6:33 pm

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बसों के किराए (Bus fares)को लेकर चल रही हेराफेरी के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने किराया सूची चस्पा न करने और राउंड फिगर के नाम पर यात्रियों से अधिक वसूली(over recovery from passengers) को लेकर प्रदेश सरकार से पूर्व आदेश के अनुपालन पर सवाल उठाए।

सरकार ने किराए के पुनर्विचार के मसले पर दो हफ्ते का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर अगली सुनवाई की तारीख 17 मार्च 2025 तय की। प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने अदालत को जानकारी दी कि बस किराए के मुद्दे पर पुनर्विचार के लिए तैयार प्रस्ताव मुख्यमंत्री के समक्ष लंबित है।

उन्होंने बताया कि कैबिनेट बैठक में इस पर निर्णय लिया जाना है। मगर, नगरीय निकाय चुनावों के कारण इस प्रक्रिया में देरी हो गई है। सरकार ने कोर्ट को यह भी सूचित किया कि जल्द ही इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

निगरानी और अनुपालन के निर्देश

इस सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा कि आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ। सरकार ने हलफनामा पेश कर कहा कि इस मसले पर कार्यवाही जारी है और जल्द ही आवश्यक निर्णय लिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार की दलीलें सुनने के बाद उसे दो हफ्ते का समय देते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।

पहले भी हो चुकी है सुनवाई

इससे पहले हाई कोर्ट ने सिटी बसों के बंद होने और आम यात्रियों की परेशानियों को लेकर स्वत: संज्ञान लिया था। यह तथ्य सामने आया था कि राउंड फिगर के नाम पर यात्रियों से अतिरिक्त किराया वसूला जा रहा है। हाई कोर्ट ने तब निर्देश दिया था कि हर बस स्टैंड पर किराया सूची चस्पा की जाए, बसों में डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं।

सरकार ने मानी गलती

15 अक्टूबर 2024 को हुई सुनवाई में प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया था कि किराया पुनर्विचार के लिए विधि एवं विधायी विभाग को पत्र भेजा गया है। 8 नवंबर की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि पत्र गलती से गलत विभाग को भेज दिया गया था। हाई कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

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