CG Story : पत्नी के लिए खुदवा दिए थे जमींदार ‘बाबू’ तालाब, आज इस इलाके की Life line
By : hashtagu, Last Updated : April 23, 2025 | 10:14 pm

- दुर्ग शहर से 25 किमी दूर गांव कंडारका का बड़ा तालाब बना जलसंरक्षण की मिसाल
- 150 साल पूर्व बने तालाब का पानी आज तक नहीं सूखा
रायपुर/दुर्ग। कहते हैं कि प्रेम और चाहत की कोई सीमा नहीं होती है। जिस तरह से ताजमहल को शाहजहां अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनाया था। ठीक उसी तरह से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक जमींदार (A landlord in Durg district of Chhattisgarh) ने अपनी पत्नी के लिए तालाब बनाया (Built a pond) है। करीब 150 साल पहले की कहानी है। इस तालाब के बनवाने की यही कहानी आज भी प्रचलित है। यह तालाब अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। क्योंकि इस तालाब से कभी पानी नहीं सूखा। हमेशा लबालब रहने वाला यह तालाब लोगों के लिए किसी लाइफ लाइन से कम नहीं है। लोग आज भी इस तालाब से अपने दैनिक कार्यों के लिए इसके पानी का इस्तेमाल करते हैं।
–नहाने के लिए 2 किमी दूर जाती थी पत्नी, इसलिए जमींदार ने खुदवाया था तालाब
स्थानीय लोगों का कहना है कि दुर्ग शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर कंडारका गांव में स्थित ‘बड़ा तालाबÓ स्थानीय निवासियों और आसपास के छह गांवों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है, क्योंकि गर्मी के मौसम में इस क्षेत्र के और तालाब और संसाधन सूख जाते हैं. इस बीच दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद विजय बघेल ने भी कहा कि यह तालाब कभी सूखा नहीं है और इसके संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए योजना तैयार की जाएगी. स्थानीय निवा सी जीवन लाल ने ‘पीटीआई भाषाÓ को बताया कि उनके परनाना गुरमिन गौटिया (जो उस समय जमींदार थे) ने अपनी पत्नी के लिए यह तालाब बनवाया था.
क्या है इस तालाब की कहानी?
बताया जाता है कि 150 साल पहले कंडारका में पानी की कमी थी और स्थानीय लोगों को अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पास के गांवों में जाना पड़ता था. लाल ने बताया कि गौटिया की पत्नी को नहाने के लिए दो किलोमीटर दूर दूसरे गांव में जाना पड़ता था. उन्होंने बताया कि कुछ गांव वाले उनका इस बात के लिए मजाक उड़ाते थे कि एक जमींदार भी अपने गांव में अपनी पत्नी के लिए पानी का इंतजाम नहीं कर पाता.
उन्होंने बताया कि इस घटना से जमींदार की पत्नी इतनी गुस्सा हुई कि उन्होंने तब तक स्नान न करने का निर्णय लिया जब तक उनके गांव में तालाब नहीं बन जाता. लाल ने बताया कि अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए जमींदार ने तालाब बनवाने की योजना बनाई. लाल ने बताया कि तालाब खोदने के लिए बाहर से कुल्हाडिय़ों और फावड़ों के साथ लगभग 100 मजदूरों को बुलाया गया था और यह काम पांच महीने तक चलता रहा. उन्होंने कहा, ‘तब से यह तालाब क्षेत्र के लगभग छह गांवों के लिए पानी का निरंतर स्रोत बना हुआ है, क्योंकि यह कभी सूखता नहीं है.Ó
तालाबों का संरक्षण बहुत जरूरी
एक और स्थानीय निवासी नरोत्तम पाल ने भी कहा कि तालाब कभी सूखा नहीं है और यह कंडारका और आसपास के गांवों में खेतों की सिंचाई में मददगार है, खासकर गर्मियों के मौसम में जब और जल स्रोत सूख जाते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण कई सालों से इस तालाब का संरक्षण कर रहे हैं और इसके आसपास अतिक्रमण नहीं होने दिया है। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद विजय बघेल ने बताया कि यह तालाब, जो एक सदी से भी अधिक पुराना माना जाता है, कभी सूखा नहीं है और भविष्य में इसके संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए एक योजना तैयार की जाएगी। बघेल ने कहा कि जैव विविधता को बनाए रखने के लिए तालाबों का संरक्षण आवश्यक है।
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