छत्तीसगढ़ कांग्रेस में घमासान: चौबे के बयान से मचा बवाल, जिलाध्यक्षों ने की अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग

By : hashtagu, Last Updated : September 4, 2025 | 12:20 pm

रायपुर: छत्तीसगढ़ कांग्रेस (Congress) में एक बार फिर सियासी घमासान छिड़ गया है। मामला पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे के उस बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व अब भूपेश बघेल को सौंपा जाना चाहिए। इस बयान के बाद पार्टी के भीतर विरोध शुरू हो गया, और रायपुर स्थित राजीव भवन में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया।

बैठक के दौरान दो जिलाध्यक्ष आपस में भिड़ गए। जगदलपुर के जिलाध्यक्ष सुशील मौर्य ने चौबे के बयान को अनुशासनहीनता बताया और आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर ऐसा बर्ताव स्वीकार्य नहीं है। वहीं दुर्ग ग्रामीण के जिलाध्यक्ष राकेश ठाकुर ने चौबे का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने भूपेश बघेल के जन्मदिन के अवसर पर सिर्फ सराहना की थी, जो सामान्य बात है। ठाकुर का कहना था कि जन्मदिन जैसे मौकों पर इस तरह की बातें कही जाती हैं और इसमें अनुशासनहीनता नहीं देखी जानी चाहिए।

बैठक में मौजूद अन्य जिला अध्यक्षों और कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब छोटे कार्यकर्ता अनुशासन तोड़ते हैं तो तुरंत कार्रवाई की जाती है, लेकिन बड़े नेताओं पर चुप्पी साध ली जाती है। सभी ने एक स्वर में यह मांग की कि रविंद्र चौबे पर भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि संगठन में समानता बनी रहे।

इसी बैठक में कांग्रेस सांसद चरणदास महंत का बयान भी चर्चा का विषय बना। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि पार्टी में कुछ लोग दूसरों को चमचागिरी के आधार पर मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष बना देते हैं। उनका यह बयान सीधे तौर पर मौजूदा नेतृत्व पर सवाल उठाने जैसा था।

इस पूरे विवाद के बाद रविंद्र चौबे ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस में हमेशा से सामूहिक नेतृत्व की परंपरा रही है और वही परंपरा आगे भी कायम रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को सभी कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है और वे उनके साथ मिलकर पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे।

इस बैठक में एक और मुद्दा उठा—पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा पर अब तक कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होने को लेकर भी कई नेताओं ने सवाल खड़े किए। इससे पार्टी के भीतर निष्पक्षता को लेकर बहस और तेज हो गई है।

कुल मिलाकर, चौबे के एक बयान ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर गहराए मतभेदों को फिर सतह पर ला दिया है, और अब निगाहें इस बात पर हैं कि पार्टी हाईकमान इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाता है।