छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 22 अधिकारी सस्पेंड, 3200 करोड़ का घोटाला, अनवर ढेबर को 90 करोड़ से ज्यादा मिले

By : brijeshtiwari, Last Updated : July 10, 2025 | 3:20 pm

रायपुर: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (Liquor Scam) के मामले में आबकारी विभाग ने बड़ा एक्शन लिया है। 22 अधिकारियों को निलंबित किया गया है, जिन पर आरोप है कि वे प्रदेश में हुए 2100 करोड़ के शराब घोटाले में सिंडिकेट का हिस्सा थे। इन अधिकारियों ने 88 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम प्राप्त की थी। EOW (आर्थिक अपराध विंग) ने चालान में यह जानकारी दी, जिसके बाद कार्रवाई की गई।

इस घोटाले की रकम अब 2100 करोड़ से बढ़कर 3200 करोड़ रुपए हो चुकी है। इसमें मुख्य आरोपी कारोबारी अनवर ढेबर है, जिसे 90 करोड़ से ज्यादा की राशि मिली थी। अनवर ढेबर ने यह पैसे रिश्तेदारों और सीए के नाम पर कई कंपनियों में निवेश किए। EOW की जांच में यह जानकारी सामने आई है।

EOW के चालान के अनुसार, शराब डिस्टलरी से मिलने वाली कमीशन और बी पार्ट की शराब बिक्री के पैसों का 15 प्रतिशत अनवर ढेबर को जाता था। ढेबर यह पैसा अपने करीबी सहयोगियों विकास अग्रवाल और सुब्बू की मदद से वसूलता था। ये दोनों ही शराब दुकानों से पैसे वसूलने का काम करते थे।

इसके अलावा, ED (एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट) भी इस घोटाले की जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है, जिसमें 2000 करोड़ से ज्यादा के घोटाले का जिक्र किया गया है। ED की जांच में पाया गया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था।

सिंडिकेट की शुरुआत:

इस सिंडिकेट का गठन फरवरी 2019 में हुआ था, जब कारोबारी अनवर ढेबर ने जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के तीन प्रमुख डिस्टलरी मालिकों को बुलाया था। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी के नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड के भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरी के राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल और अन्य प्रमुख अधिकारी मौजूद थे।

मीटिंग में तय हुआ कि डिस्टलरी से सप्लाई की जाने वाली शराब पर प्रति पेटी कमीशन देना होगा, बदले में डिस्टलरी मालिकों को रेट बढ़ाने का आश्वासन दिया गया। आरोपियों ने पूरे शराब कारोबार को A, B और C पार्ट्स में बांटकर पैसे का हिसाब-किताब किया।