छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, लेकिन जेल से रिहाई नहीं

हालांकि, इसके बावजूद अनवर ढेबर फिलहाल जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे, क्योंकि उनके खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में भी मामला दर्ज है।

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  • Publish Date - May 19, 2025 / 02:26 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले (Liquor scam) में लंबे समय से जेल में बंद कारोबारी अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने सोमवार को उन्हें जांच में सहयोग करने की शर्त पर जमानत दे दी। कोर्ट ने यह बेल सुनवाई में हो रही देरी और अभियुक्त के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए दी है।

हालांकि, इसके बावजूद अनवर ढेबर फिलहाल जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे, क्योंकि उनके खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में भी मामला दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट से यह बेल प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज आबकारी घोटाले के मामले में मिली है, न कि EOW के मामले में।

अनवर ढेबर के वकील अमीन खान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें न्याय मिला है। उन्होंने बताया कि इस मामले में पहले से कुछ अन्य आरोपियों को भी बेल मिल चुकी है। वकील ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक बिना ट्रायल जेल में रखना उचित नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि EOW के केस में भी जल्द बेल मिल सकती है।

छत्तीसगढ़ के इस कथित शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है। इस मामले में ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) में दर्ज FIR के मुताबिक यह घोटाला 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। जांच एजेंसियों का दावा है कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में यह घोटाला सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। इसमें आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी और अनवर ढेबर पर एक संगठित सिंडिकेट चलाने का आरोप है, जिसके जरिए यह पूरा तंत्र खड़ा किया गया।

एसीबी के अनुसार, 2019 से 2022 तक छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब दुकानों के जरिए नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची गई, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।

ED का दावा है कि इस सिंडिकेट में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा की भी अहम भूमिका रही। जांच एजेंसी का कहना है कि लखमा सिंडिकेट का सक्रिय हिस्सा थे और उनके निर्देशों पर पूरा नेटवर्क संचालित होता था। शराब नीति में बदलाव कर FL-10 लाइसेंस की शुरुआत में भी उनकी मुख्य भूमिका थी।

ED के अनुसार लखमा को इस घोटाले के बदले हर महीने दो करोड़ रुपए की अवैध कमाई होती थी। यह सिलसिला तीन साल तक चला और उन्हें कुल 72 करोड़ रुपए मिले। यह पैसा उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और सुकमा में कांग्रेस कार्यालय की इमारत के निर्माण में उपयोग हुआ।

कुल मिलाकर, ED का आरोप है कि इस शराब घोटाले से छत्तीसगढ़ सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि सिंडिकेट के सदस्यों ने लगभग 2,100 करोड़ रुपए की अवैध कमाई की। सुप्रीम कोर्ट से अनवर ढेबर को भले ही फिलहाल एक मामले में राहत मिली हो, लेकिन EOW के केस में गिरफ्तारी जारी रहने के कारण उनकी जेल से रिहाई फिलहाल संभव नहीं है।