Chhattisgarh Liquor Scheme: शराब घोटाले में चैतन्य बघेल का नाम, 1000 करोड़ की डीलिंग के सबूत!
By : hashtagu, Last Updated : September 18, 2025 | 12:54 pm
By : hashtagu, Last Updated : September 18, 2025 | 12:54 pm
रायपुर: छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले (Chhattisgarh Liquor Scheme) में अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल का नाम प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में सामने आया है। 15 सितंबर को ईडी ने इस मामले में सात हजार से ज्यादा पन्नों की पांचवीं पूरक चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की, जिसमें चैतन्य पर एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम को मैनेज करने का आरोप है। अब आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW भी उन्हें रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है।
ईडी की जांच में सामने आया है कि चैतन्य बघेल इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड था और लगभग दो सौ करोड़ रुपए खुद कमाए। जबकि आठ सौ पचास करोड़ रुपए की राशि कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचाई गई। इन पैसों का इस्तेमाल नकली होलोग्राम बनवाने, शराब कारोबार में गड़बड़ियों और ब्लैक मनी को सफेद करने के लिए किया गया।
चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि इस घोटाले की पूरी प्लानिंग और लेनदेन ‘बिग बॉस’ नाम के एक वॉट्सऐप ग्रुप में की जाती थी। इस ग्रुप में चैतन्य बघेल के साथ अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया और पुष्पक जैसे नाम जुड़े थे। ईडी ने इन सभी की मोबाइल चैट्स और कॉल रिकॉर्ड्स को चार्जशीट का हिस्सा बनाया है।
जांच में यह भी सामने आया कि चैतन्य का नंबर अनवर ढेबर के मोबाइल में ‘बिट्टू’ नाम से सेव था। चैट्स में नकली होलोग्राम बनाने, पैसे की लेन-देन और उसे कहां और कैसे पहुंचाना है, इस तरह की बातचीत के सबूत मिले हैं।
दुर्ग-भिलाई के शराब कारोबारी पप्पू बंसल ने पूछताछ में कबूल किया कि उन्होंने और चैतन्य ने मिलकर एक हजार करोड़ से ज्यादा कैश को मैनेज किया। बंसल के मुताबिक यह रकम अनवर ढेबर से होते हुए दीपेन चावड़ा और फिर कांग्रेस नेताओं रामगोपाल अग्रवाल और केके श्रीवास्तव तक जाती थी। उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ तीन महीने में उन्हें 136 करोड़ रुपए मिले।
ईडी ने यह भी बताया कि चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले के पैसे को रियल एस्टेट में निवेश कर उसे सफेद करने की कोशिश की। उन्होंने अपने विठ्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट और बघेल डेवलपर्स में रकम लगाई। जहां असल खर्च 13 से 15 करोड़ था, वहां दस्तावेजों में सिर्फ 7.14 करोड़ रुपए दिखाए गए। एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश में भुगतान किया गया जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने इसी प्रोजेक्ट में 19 फ्लैट खरीदे लेकिन भुगतान खुद किया, जिससे ईडी को शक है कि यह सौदे ब्लैक मनी को सफेद करने के लिए किए गए थे।
भिलाई के एक बड़े ज्वेलर्स का नाम भी सामने आया है जिसने चैतन्य की कंपनी को 5 करोड़ का नकद लोन दिया और बदले में सिर्फ 80 लाख की कीमत पर 6 प्लॉट खरीद लिए। ईडी ने इसे भी मनी लॉन्ड्रिंग की योजना बताया।
चैतन्य बघेल के वकील फैजल रिजवी ने आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि ईडी ने पप्पू बंसल के बयान के आधार पर कार्रवाई की, जबकि बंसल खुद फरार हैं और उन पर गैर-जमानती वारंट जारी है। वकील ने दावा किया कि चैतन्य जांच में पूरा सहयोग कर रहे थे और बिना समन के ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।