रायपुर। लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस (Congress Chhattisgarh) कोई कमाल नहीं कर पाई। जबकि उसने अपने सारे दिग्गजों को चुनावी रण में उतार दिया था। इसके बावजूद उसे सिर्फ काेरबा की एक सीट (Seat in kerba)से ही संतोष करना पड़ा। लेकिन सवाल उठता है कि बस्तर में भाजपा की जीत ने क्या यह संदेश दिया है कि कांग्रेस का दीपक बैज को वहां से प्रत्याशी नहीं बनाने का फैसला गलत था। अगर इसे छोड़ दिया जाए तो दीपक बैज के अध्यक्ष की भूमिका में कांग्रेस विधानसभा और लोकसभा का चुनाव हार चुकी है। अब इनकी भूमिका तो भविष्य में पार्टी को तय करना है। लेेकिन यहां सवाल उठता है कि फिलहाल, जिन कांग्रेसी दिग्गजों को लोस चुनाव में करारी मात मिली है, उनकी भूमिका अब पार्टी में क्या होगी।
देखा जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी हार का अंदाजा शायद उसी वक्त हो गया था, जब उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाने की चर्चा कांग्रेस में हुई थी। उसी दौरान भूपेश ने कहा था कि वे लोकसभा चुनाव लड़ने से ज्यादा प्रचार करना ही पसंद करेंगे। इन सबके बावजूद उन्हें राजनांदगांव से चुनावी मैदान में उतार दिया गया। जहां उन्हें हार तो मिली लेकिन भूपेश अपने निर्वाचन क्षेत्र के अलावा राहुल गांधी के रायबरेली सीट पर आब्जर्बर की भूमिका भी निभाई। अब राहुल गांधी चुनाव जीत गए है, इससे उनका कद अब कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ना तय माना जा रहा है। लेकिन इनके अलावा अन्य जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेता हार गए हैं। उनको कांग्रेस संगठन कितना भविष्य में महत्व देता है वह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है कि कांग्रेस अपने सभी हारे हुए कांग्रेसी दिग्गजों को संगठन के काम में लगाएगी। वैसे इसके पीछे वजह है कि जब भूपेश की 2019 में सरकार थी तो उस समय भी कांग्रेस ने 11 में 2 सीट ही जीत पाई थी।
2024 में तो कांग्रेस की सरकार ही नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को डर था कि कहीं 11 की 11 लोकसभा सीटें भाजपा जीत न ले। इसी सोच के चलते कांग्रेस के तमाम नेता लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार करते रहे लेकिन पार्टी के निर्देश पर उनको चुनावी मैदान में आने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसे में कांग्रेस 10 सीट हारकर भी अपनी जीत देख रही है। इसलिए हारे हुए किसी भी दिग्गज की हैसियत कम नहीं होगी। क्योंकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं था। इसकी वजह है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में हुए कई लोकसभा चुनावों में 1 से 2 सीटें ही पाती रही हैं। बाकी भाजपा के हिस्से में जाती रही हैं।
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