छत्तीसगढ़। वाह! यहां ग्रामीण अंचल की महिलाएं अब हर एक हुनर को नया मुकाम देने में सफल हो रहीं हैं। अभी तक सिर्फ शहरी क्षेत्र की महिलाएं आगे बढ़ रही थीं। लेकिन अब यह दौर ग्रामीण अंचलों में भी चल पड़ा है। इससे वे आर्थिक रूप से भी संपंनता की ओर आगे बढ़ रहीं हैं। यह सकूनभरी अच्छी खबरें गांव की पगडंडियों से निकलकर लोगों के सामने आने लगी हैं। भूपेश सरकार की स्वंय सहायता समूहों को मिलने वाली आर्थिक सहायता ने इसे और एक नई ऊंचाई दी है। खैर आइए बताते हैं कि कैसे राजनांदगांव की कुछ महिलाओं ने तो कमाल ही कर दिया। जिन्होंने स्वाद और आचार की दुनिया में लीक से अलग हटकर मछली के आचार का ईजाद कर डाला। इससे वे आज हर महीने हजारों कमा रही हैं।
राजनांदगांव जिले की वनबघेरा गांव की महिलाएं जय बूढ़ा देव समूह से जुड़ी। इसके बाद वे कई उत्पाद बनाकर बाजार में बेच रही है। इससे भी उन्हें अच्छी खासी आदमनी होती थी। एक दिन उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा खाने-पीने की चीज बनाया जो लोकप्रिय हो जाए। गांव की सरिता मंडावी ने कहा कि दिमाग में आइडिया आया कि यहां लोग मछली ज्यादा खाते हैं। क्यों न इसे आचार के रूप में मछली का आचार बनाया जाए। फिर क्या था, उसी दौरान पंचायत के अधिकारियों ने भी कहा कि नया बनाओ। इसके बाद वे मछली के आचार को बनाने में जुट गईं। इसे स्वाद देने और इसके काफी दिनों तक रखने के लिए प्रयोग किया, जो फिर ये पूरी सफल हो गया। हमने कहा कि आम के अलावा लहसुन का भी आचार बनाते हैं। सरिता ने बताया कि यहां लोग मछली के शौकीन हैं। फिर क्या था महिलाओं ने यहां प्रचलित पनकाज मछली का आचार बनाया जो लोगों को काफी पसंद आया।
आचार बनने के बाद उन्होंने गौठान मेले में इसे लेकर गईं। जहां स्टाल लगाने के बाद, जब लोगों ने इसका स्वाद चखा तो वाह! वाह! कह उठे। फिर तो मछली का आचार लेने के लिए लोगों भीड़ जुट गई। देखते ही देखते एक दिन में ही 5 हजार रुपए के मछली के आचार बिक गए। इस बिक्री के बाद इन्होंने इसका बड़े पैमाने पर पनकाज मछली का अचार बनाने शुरू कर दिए। आज इसकी डिमांड हर जगह से आ रही है। अब बाजारों में समूह के मछली के आचार 50 किलो के भाव से बिक रहे हैं। देखा जाए तो यह सस्ता और काफी दिनों तक रखा जा सकता है।