निकायों में प्रत्यक्ष चुनाव के फैसले से नेताओं के अकाल से जूझती कांग्रेस को डर सता रहा : भाजपा
By : madhukar dubey, Last Updated : December 11, 2024 | 4:29 pm
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और नगरीय निकाय चुनाव के प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र सवन्नी(State in-charge of urban body elections Bhupendra Savanni) ने कहा है कि जबसे छत्तीसगढ़ में भाजपा की प्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों के महापौर व अध्यक्षों के प्रत्यक्ष चुनाव (Direct elections of mayors and presidents)का फैसला लिया है, कांग्रेस को अपने पैरों तले अपनी राजनीतिक जमीन के पूरी तरह खिसक जाने का डर सताने लगा है। श्री सवन्नी ने कहा कि पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनाव के बाद हाल ही रायपुर दक्षिण के उपचुनाव में करारी शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस अब भाजपा से सीधी चुनावी लड़ाई लड़ने की स्थिति में नहीं रह गई है क्योंकि एक तो उसके पास अब नेताओं का अकाल पड़ गया है, दूसरे कांग्रेस में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है और उसे पर तुर्रा ये की 11 माह के भाजपा के विष्णु देव साय सरकार ने मोदी की गारंटी पूरी करते हुए किसानों, महिलाओं, युवा, आम नागरिक के हित, उन्नति के बड़े-बड़े फैसले ले लिए हैं। जो कांग्रेस 5 साल में भी नहीं कर सकी थी।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व नगरीय निकाय चुनाव प्रभारी श्री सवन्नी ने कहा कि पिछली भूपेश सरकार के कार्यकाल में भी कांग्रेस को 2018 के विस चुनाव में मिली जीत के बाद भी निकाय चुनाव में जीत का जरा भी आत्मविश्वास नहीं था। अपनी सियासी फजीहत से बचने के लिए ही कांग्रेस ने पिछली बार चोर दरवाजे से महापौर और अध्यक्ष के पदों पर जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त व धमकी-चमकी के दाँव-पेंच अपनाकर छद्म जीत दर्ज की थी। कांग्रेस की भूपेश सरकार ने प्रत्यक्ष चुनाव का फैसला पलटने से पहले यह तक नहीं सोचा कि अविभाजित मध्यप्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय-सरकार ने निकायों में महापौर और अध्यक्ष पदों के लिए प्रत्यक्ष चुनाव का निर्णय लिया था। अपनी ही पार्टी के फैसले को पलटते समय कांग्रेस तब भी डर रही थी और आज भाजपा सरकार द्वारा भूपेश सरकार के फैसले को पलटने के बाद भी डरी हुई है। श्री सवन्नी ने कहा कि कांग्रेस यह बात अच्छी तरह महसूस कर रही है कि विधानसभा और लोकसभा में बड़ी हार के बाद जब कांग्रेस का घमासान आरोप-प्रत्यारोप से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सामने सरेआम मारपीट तक का नजारा पेश कर रहा है, तो फिर निकाय चुनाव में कांग्रेस की अंतर्कलह को रोक पाना कांग्रेस के किसी नेता के बस की बात नहीं रहेगी क्योंकि सभी बड़े नेता बड़े अंतरों से चुनाव से हार चुके हैं। इसलिए कांग्रेस हताश-निराश होकर अरण्य-रोदन करने में लगी है।
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