दीपक बैज बोले, भाजपा राज में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को दबाया गया

By : madhukar dubey, Last Updated : August 8, 2023 | 8:45 pm

रायपुर। विश्व आदिवासी दिवस पर शुभकामनायें देते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज (State Congress President and MP Deepak Baij) ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आदिवासियों की संस्कृति (Tribal culture) सभ्यता, सवंर्धित करने का काम हुआ, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का बहाल किया गया। उनके शैक्षणिक और आर्थिक उन्नति के लिये न सिर्फ योजनायें बनाई गई उन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन भी किया गया।

विश्व आदिवासी दिवस पर दीपक बैज ने दिया शुभकामनायें

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि पूर्व के रमन सरकार के दौरान सबसे ज्यादा पीड़ित, प्रताड़ित और शोषित आदिवासी वर्ग था। आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन पर कब्जा करने के लिए उनके कानूनी अधिकारों का हनन किया गया। आदिवासी वर्ग के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, उनके मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी प्रकार से काम नहीं किया गया था। भाजपा ने 2003 में आदिवासियों को 10 लीटर दूध वाली गाय देने का वायदा किया था, हर आदिवासी परिवार से एक को सरकारी नौकरी का वायदा किया था, पूरा नहीं किया। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के दौरान बस्तर के 600 गांव उजाड़े, तीन लाख से अधिक आदिवासियों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। 1379 फर्जी प्रकरण दर्ज कर हजारों आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल में बंद किया गया था जिसे जस्टिस पटनायक कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर रिहा किया गया। मोदी सरकार ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों में संशोधन कर आदिवासियों के अधिकार को संकुचित किया। मोदी सरकार देश की पहली सरकार है जिन्होंने 2014 के बाद अंधाधुंध कमर्शियल माइनिंग की अनुमति दी।

कांग्रेस राज में आदिवासियों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक उन्नति का काम हुआ

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने आदिवासी वर्ग के चहुमुखी विकास के लिए रोजगार मूलक योजनाएं बनाई। बस्तर क्षेत्र में आदिवासी के वर्ग शिक्षा के लिए 300 से अधिक बंद स्कूलों को खोला गया। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विश्वास, विकास और सुरक्षा के नीतियों के तहत काम किया गया। रमन सरकार के दौरान दस गांवों के 1707 आदिवासी परिवार से छीनी गई 4200 एकड़ जमीन को लौटाई गई, जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को जेल से मुक्त कराया गया। तेंदूपत्ता का मानक दर 2500 रु से बढ़ाकर 4000 रु प्रति बोरा किया गया, 65 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी की गई, चरणपादुका खरीदने नगद राशि दी गई, बस्तर में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया। 24827 व्यक्तिगत 20,000 से अधिक सामुदायिक व 2200 वन संसाधन पट्टे वितरित किए गए, 16 लाख से अधिक हेक्टर भूमि आदिवासी वर्ग को वितरित किया गया है। 4,38,000 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किया गया।

44,300 से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किया गया। 2175 से अधिक वन संसाधन अधिकार ग्राम सभा को प्रदान की गई। मिलेट मिशन शुरू किया गया और बस्तर के वनोपज को देश-विदेश तक पहुँचाया गया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से धान, गन्ना, मक्का, कोदो, कुटकी, रागी, मक्का, दलहन-तिलहन, फलदार वृक्ष, सब्जी लगाने वाले आदिवासी किसानों को 10,000 रू. प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। बिजली बिल हाफ की सुविधाएं। सिंचाई कर माफ किया गया। बस्तर बटालियन में स्थानीय युवाओं के नौकरी के द्वार खोले गए। एनएमडीसी में स्थानीय स्तर के युवाओं को रोजगार के अवसर दिया गया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि आदिवासी वर्ग की बहुप्रतीक्षित मांग आदिवासी विकास प्राधिकरण में नेतृत्व देने की मांग को पूरा किया गया। बस्तर विकास प्राधिकरण, सरगुजा विकास प्राधिकरण, मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के माध्यम से आदिवासी वर्गों के विकास के रोडमैप तैयार करने की जिम्मेदारी उन्हीं वर्ग को दी गई पेशा कानून किया गया है। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के माध्यम से बीहड़ वन क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं सुपोषित आहार पहुंचाया गया। 85 विकास खंडों में वनों उपज प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के लिए आठ करोड 50 लाख रुपए प्राधिकरण मद से दिया गया।

जनजाति सलाहकार परिषद छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग बैगा विकास अभिकरण चिराग परियोजना, आमचो बस्तर के माध्यम से कॉफी, काजू, हल्दी जो बस्तर में उत्पादित होते हैं, उनकी ब्रांडी की गई। महारानी अस्पताल का उन्नयन किया गया। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण हेतु देवगुड़ी का विकास। अधोसंरचना का विकास, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सौर ऊर्जा विद्युतीकरण, गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी पशुधन का नस्ल सुधार, पशुओं का संरक्षण एवं पशुपालकों को लाभान्वित किया जा रहा है, विश्व आदिवासी दिवस के दिन 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन सहित अनेक जनकल्याणकारी योजना बनाकर आदिवासी वर्ग को आर्थिक रूप से मजबूत सक्षम बनाने के लिए काम किया गया।

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