ईडी का बड़ा खुलासा : कवासी लखमा के घर छापेमारी में आपत्तिजनक सबूत

प्रवर्तन निदेशालय (ED), रायपुर ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 28.12.2024

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  • Updated On - January 2, 2025 / 02:46 PM IST

रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ED), रायपुर ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 28.12.2024 को छत्तीसगढ़ के रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित सात परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। तलाशी अभियान के परिणामस्वरूप, ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में पीओसी के उपयोग से संबंधित सबूत जुटाने में सक्षम हो गया है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।

  • भूपेश बघेल सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा (Kawasi Lakhma) के ठिकानों पर मारे गए छापे के बाद अब जाकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है. ईडी ने सोशल मीडिया में किए अपने पोस्ट में बताया कि लखमा द्वारा किए गए नगदी लेन-देन के सबूत हासिल हुए हैं.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला मामले में पैसों के लेन-देन को लेकर रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित सात परिसरों में तलाशी अभियान चलाया गया था. तलाशी अभियान पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के आवासीय परिसर में चलाया गया था, जो कथित तौर पर आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान नकदी में अपराध की आय (पीओसी) के मुख्य प्राप्तकर्ता थे. उनके बेटे हरीश लखमा और उनके करीबी सहयोगियों के आवासीय परिसरों पर भी तलाशी ली गई.

  • ईडी ने बताया कि तलाशी अभियान के परिणामस्वरूप, ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकदी में पीओसी के उपयोग से संबंधित सबूत इकट्ठा करने में सक्षम हो गया है. इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल उपकरणों की बरामदगी और जब्ती भी हुई, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड मौजूद थे.

ईडी की जांच से पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था. इस घोटाले के माध्यम से उत्पन्न POC लगभग 2161 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है. ईडी की जांच से पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से उत्पन्न पीओसी से मासिक आधार पर नकद में बड़ी रकम मिलती थी. 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ईडी की जांच से पता चला कि पीओसी को अवैध कमीशन के रूप में उत्पन्न किया गया था, जो कई तरीकों से उत्पन्न हुआ था:

  • भाग-ए कमीशन: सीएसएमसीएल ले द्वारा डिस्टिलर्स से खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए रिश्वत ली गई थी. शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय.

भाग-बी कच्ची शराब बिक्री: बेहिसाब “ऑफ-द-बुक्स” देशी शराब की बिक्री. इस मामले में, राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा, और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट की जेब में चली गई. अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी.

पार्ट-सी कमीशन: कार्टेल बनाने और निश्चित बाजार हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती है.

FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन : जिन्हें विदेशी शराब खंड में भी कमाने के लिए पेश किया गया था.

इस मामले में रुपये की संपत्ति कुर्क करने का एक कुर्की आदेश. 205 करोड़ (लगभग) पहले ही जारी किए जा चुके हैं. इस मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और दो पूरक पीसी के साथ अभियोजन शिकायत दायर की गई है, जिस पर विशेष न्यायालय (पीएमएलए), रायपुर द्वारा पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है. इसके साथ आगे की जांच जारी है।

 

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