चुनावी मानसून की चढ़ी खुमारी : अनुसूचित जनजाति के मुद्दे पर ‘BJP-कांग्रेस में सियासी’ नूराकुश्ती!

By : madhukar dubey, Last Updated : August 1, 2023 | 8:42 pm

रायपुर। चुनावी मानसून अब अपने शबाब पर दिखने लगा है। ऐसे में कांग्रेस-बीजेपी (Congress-BJP) में मुद्दों को लेकर सियासी लड़ाई अब जोर पकड़ने लगी है। इधर बीच, छत्तीसगढ़ की सियासत में 12 आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के वर्ग में शामिल करके का विधेयक राज्यसभा में पास हुआ है। इसके बाद बीजेपी का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के 12 आदिवासी समूहों को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल कराया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने राज्यसभा में बिल पास होने के बाद बताया था, 12 समुदायों को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने के लिए उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखा था। इसके बाद फिर क्या था, कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ये हमारे प्रयास का नतीजा है।

बरहाल, इस मुद्दे पर सियासी नूराकुश्ती के बीच आज एक बार फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक में जुबानी जंग छिड़ गई है। अरुण साव के बयान पर दीपक बैज ने भी अपनी दलीलें रखीं हैं। मंगलवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि ये केंद्र सरकार की वजह से मुमकिन हुआ। इसके जवाब में कांग्रेस का बयान भी सामने आया कि कांग्रेस ने प्रयास न किए होते तो ये मुमकिन ही नहीं होता।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा- प्रदेश के 12 आदिवासी समूह जो आज़ादी के बाद से अब तक अनुसूचित जनजाति में शामिल होने का अपना अधिकार नहीं पा सके थे, महज़ लिपिकीय त्रुटि को बहाना बनाकर कांग्रेस की सरकारों ने उन्हें दशकों तक उनके अधिकारों से वंचित रखा था।

ये जातियां हैं :- भारिया भूमिया के समानार्थी भूईया, भूईयाँ, भूयां, धनवार के समानार्थी धनुहार धनुवार, नगेसिया, नागासिया के समानार्थी किसान, सावर, सवरा के समानार्थी सौंरा, संवरा, धांगड़ के साथ प्रतिस्थापित करते हुए सुधार, बिंझिया, कोडाकू के साथ साथ कोड़ाकू, कोंध के साथ-साथ कोंद, भरिया, भारिया, पंडो, पण्डो, पन्डो को जनजाति वर्ग में शामिल किया गया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा- जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 78 लाख 22 हज़ार 902 है। प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग एक-तिहाई जनसंख्या (30.62 प्रतिशत) अनुसूचित जनजातियों की है। इनमें सर्वाधिक 72 लाख 31 हज़ार 82 ग्रामीण इलाकों में रहती हैं।

अब जब सदन के दोनों सदनों में पारित करा कर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने उन्हें उनका अधिकार लौटाया है, तब प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस बात का श्रेय लेने की बेशर्म कोशिश कर रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री और कांग्रेस श्रेय लेने के लिए केवल सफ़ेद झूठ बोल रहे हैं।

अरुण साव का दावा

अरुण साव ने कहा- सच तो यह है कि इस विधेयक को लोकसभा ने 21 दिसंबर 2022 को ही पारित कर दिया था, तबसे लगातार कांग्रेस ने किसी-न-किसी बहाने संसद की कार्यवाही को बाधित किया ताकि यह विधेयक राज्यसभा से पास होकर क़ानून न बन पाए। उसने इसे अटकाने, लटकाने और भटकाने की भरसक कोशिश की। सदन में जब इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा हो रही थी तब वहां छत्तीसगढ़ कोटा से आने वाले सभी कांग्रेसी सदस्य अनुपस्थित थे।

साव ने कहा- मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि इस महत्वपूर्ण विषय पर हर बार झूठी राजनीति क्यों की? अविभाजित मध्यप्रदेश और देश में भी दशकों तक कांग्रेस का शासन रहने के बावजूद जब महज़ टंकण त्रुटि के कारण ये समुदाय अपने अधिकार से साज़िशपूर्वक कांग्रेस द्वारा वंचित रखे गए, तब आज मोदी जी द्वारा उनका अधिकार वापस देने पर कांग्रेस को तकलीफ़ क्यों हो रही है?

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा-भाजपाई श्रेय लेने की होड में

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस की सरकार के प्रयासो और विधिसम्मत की गयी अनुशंसा से ही 12 जाति समूहों के लोगो को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को इस आशय का पत्र भी 11 फरवरी 2021 को लिखा था। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुये भी इन जाति समूहों को अनु.जनजाति में शामिल करने के लिये आंदोलन किया था। स्वंय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष रहते हुये सौरा समाज सहित अन्य समाजो के आंदोलनों में लगातार शामिल कर इनकी मांगो के लिये आवाज उठाते रहे है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि रमन सिंह का शासनकाल आदिवासियों के लिये शोषण और परेशानी का समय था

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि 15 साल तक आदिवासियों का शोषण करने वाले रमन सिंह और भाजपाई 12 जाति समूहों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने किये जाने पर श्रेय लेने की होड में परेशान हो रहे है। रमन सिंह और भाजपा के नेतागण श्रेय लेने के लिये बयान दे रहे कि यह उनके प्रयासो से हुआ है। 15 साल की सरकार के दौरान उन्होंने इस दिशा में क्या सार्थक पहल किया था? उनकी सरकार के आखिरी चार साल में केन्द्र और राज्य दोनो जगह भाजपा की सरकार थी रमन सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री के रूप में प्रभावशाली भी थे। इन चार सालों में इन 12 उपजातियों की मांगो के अनुसार केन्द्र से निर्णय क्यों नहीं करवाया? भाजपा और रमन सिंह नहीं चाहते थे कि यह जाति समूह को उनके संवैधानिक अधिकारो का हक मिले।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि रमन सिंह का शासनकाल आदिवासियों के लिये शोषण और परेशानी का समय था। आदिवासी भूमि संशोधन विधेयक लाकर आदिवासियों की जमीनों को हड़पने का कानून रमन सिंह ने बनाया था। कांग्रेस के विरोध के बाद वापस लिया गया। बस्तर में लौहंडीगुडा में आदिवासियों की जमीनो को टाटा संयंत्र नहीं लगने के बाद भी वापस नहीं किया जबकि भू-अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार जमीन वापस करने कानून है।

रमन सरकार ने आदिवासियों की जमीन लैड बैंक बनाकर खुद रख लिया। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी जमीनों को वापस करवाया। वनआधिकार पट्टे और पेसा कानून को लटका कर रख गया था। रमन राज में बस्तर सरगुजा में आदिवासियो के मौलिक और संवैधानिक अधिकार रद्द कर दिये गये थे। उनके जबरिया जेलों में बंद कर दिया गया था। उनकी हत्याये होती यही कारण था आदिवासी समुदाय ने भाजपा का तिरस्कार कर दिया था।

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