छत्तीसगढ़। खेतों में उगाई जाने वाली सभी फसलों की उपज के (MSP) न्यूनतम समर्थन की मांग पर देशभर के किसान संगठन के पदाधिकारी रायपुर में जुटे। जहां उन्होंने एमपीसी की कानूनी गारंटी को लेकर आगे की लड़ाई लड़ने के लिए फिर से एकजूटता संकल्प लिया है। उनका यह भी दावा किया न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने से किसानों को हर साल 7 लाख करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। यह गारंटी (MSP) दिए बिना केवल कर्ज माफी और सब्सिडी से किसानों और खेती की हालात नहीं सुधरेगी। इसके लिए अब छत्तीसगढ़ की धरती से इस आंदोलन का आगाज होगा। इसके बाद सभी राज्यों में इसकी एक साथ शुरूआत कर दी जाएगी। किसान नेताओं ने बताया, यह अभियान पूरे देश में जोर-शोर से शुरू हो गया है। एक दिसम्बर को महाराष्ट्र के पुणे में एक बड़ी किसान सभा हुई। सोमवार को उत्तराखंड में किसानों की सम्मेलन हुए। बुधवार को छत्तीसगढ़ में हुआ। 18 दिसंबर को देहरादून में किसानों की बड़ी सभा आयोजित की जाने वाली है। वहां देशभर के किसान संगठनों से लोग पहुंचने वाले हैं।
(MSP) गारंटी किसान मोर्चा के अध्यक्ष और किसान नेता सरदार वी.एम. सिंह ने कहा, सभी कृषि उपजों के लिए (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर देश के अग्रणी किसान संगठनों ने दिल्ली में लगातार बैठकें की है। इस दौरान सर्वसम्मति से एक सूत्रीय कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा बनाया है। अब हमनें देश भर में किसान संगठनों और किसानों के बीच संगोष्ठी व सम्मेलनों के जरिये व्यापक जन अभियान शुरू किया है ताकि लोगों को जागरुक कर सकें। मोर्चा के महाराष्ट्र प्रदेश के संयोजक राजू शेट्टी ने कहा, देश के किसानों के कृषि उत्पादों का लाभकारी मूल्य पर ना मिल पाने के कारण लगभग सात लाख करोड़ रुपए का हर साल घाटा होता है। खेती में इस लगातार घाटे को सहते-सहते किसान कर्जे में डूबकर दिवालिया हो रहे हैं। मजबूरी में आत्महत्या तक कर रहे हैं।
शेट्टी ने कहा, इसका इलाज ना तो खाद, बीज, सिंचाई आदि के नाम पर दिया गया अनुदान काफी है। कर्ज माफी भी इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है। इसके लिए तो सरकार को प्रत्येक किसान को उसकी हर फसल के लिए ससम्मान लाभकारी (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला एक सक्षम “एमएसपी गारंटी कानून” (MSP) बनाना चाहिए, यही एकमात्र सही निदान है। संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजाराम त्रिपाठी ने कहा, देश की खेती अब बड़ा परिवर्तन मांग रही है। इस दिशा में सबसे पहला और जरूरी कदम देश के किसानों को उनके उत्पादन का वाजिब मूल्य दिलाने की गारंटी देने वाला एक सक्षम कानून बनाना होगा।
रायपुर के किसान सम्मेलन में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा, जिला किसान संघ बालोद, स्पार्क संगठन, कृषक बिरादरी, राजधानी प्रभावित किसान कल्याण संघर्ष समिति, हम भारत के लोग बिलासपुर, जागो किसान संगठन, छत्तीसगढ़ किसान यूनियन, किसान संगठन बेमेतरा, प्रगतिशील किसान संगठन, सिक्ख गुरुद्वारा कमेटी रायपुर, औषधीय पौध उत्पादक संघ, छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक अधिकार मोर्चा, ओबीसी संगठन, छत्तीसगढ़ कल्याण समिति तखतपुर, राष्ट्रीय किसान संगठन जैसे कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।