रायपुर, 16 दिसंबर (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ में कभी कचरा बीनने वाले बच्चों के हाथ में अब कलम और किताब नजर आ रही है। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में घुमन्तू, कचरा बीनने वाले, अनाथ और बेसहारा बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उनके भविष्य को संवारने के लिए जिला प्रशासन द्वारा संचालित बाल जतन अभियान धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा है। 12 बच्चों को विद्यालयों में दाखिला दिलाया गया है। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के कलेक्टर पी.एस. ध्रुव की मौजूदगी में 12 घुमन्तू और कचरा बीनने वाले बच्चों को स्कूल में दाखिला कराया गया। कलेक्टर ध्रुव ने इस मौके पर सभी बच्चों को तिलक लगा, माला पहनाकर उनकी हौसला अफजाई की। उन्होंने सभी बच्चों को उनकी कक्षा के अनुसार बस्ता एवं पठन-पाठन सामग्री प्रदान करते हुए उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
जिलाधिकारी ध्रुव ने इस मौके पर मौजूद पालकों से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और भविष्य को लेकर जब समझाया तो तो उनके पालक भावुक हो उठे। उनकी आंखों में आंसू आ गए। सभी पालकों ने अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने का संकल्प लिया और कहा कि हम काम पर जाने से पहले अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाएंगे।
गौरतलब है कि मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में बाल जतन अभियान 19 नवम्बर से शुरू किया गया है, अभी इस अभियान को शुरू हुए महीना भर भी नहीं बीता है कि जिला प्रशासन द्वारा 15 घुमन्तू और कचरा बीनने वाले 15 बच्चों का दाखिला स्कूलों में कराया जा चुका है। स्कूलों में ऐसे श्रेणी के प्रवेशित बच्चों की मॉनिटरिंग अधिकारी नियमित रूप से कर रहे है और सप्ताह में एक दिन स्कूल पहुंचकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के बारे में शिक्षकों से चर्चा कर उनकी मूल्यांकन रिपोर्ट भी तैयार कर रहे हैं। यह अभियान अभीनगरीय क्षेत्रों में शुरू किया गया है। बाद में इसका विस्तार ग्रामीण इलाकों में भी किया जाएगा। इस अभियान से स्वयं सेवी, समाज सेवी संस्थाओं को भी जोड़ने की पहल की जा रही है।
जिलाधिकारी ने सभी घुमन्तू बच्चों के माता-पिता को आजीविकामूलक गतिविधियों से जोड़े जाने की भी पहल की है। इसके लिए निगम आयुक्त द्वारा एस.एल.आर.एम सेंटर एवं मल्टीएक्टिविटी सेंटर में संचालित गतिविधियों से ऐसे परिवारों के लोगों को प्राथमिकता से रोजगार देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।