छत्तीसगढ़। जी, हां ये सच है की यहां अब भगवान के घरों की हिफाजत का जिम्मा सरकार संभालने जा रही है। वह भी जदलपुर में। घाटी की खूबसूरत वादियों में यहां आदिवासियों के अपने-अपने देवी-देवताओं की एक लंबी श्रृंखला है। इसके अलावा जंगल के बीच बसे गांवों के भी देवता हैं। ऐसी मान्यता है की ये देवता प्राकृतिक आपदाओं और बुरी शक्तियों से बचाते हैं। भले ही अंधविश्वास हो। लेकिन इसके पीछे लोगों की अटूट आस्था जुड़ी है। वहीं ये देवी देवता कई सदियों से पूजे जाते हैं। ऐसे में अब इन सांस्कृतिक विरासत वाले इन स्थानों पर अतिक्रमण होने दैवीय स्थानों का दायरा सिकुड़ता जा रहा। लिहाजा, इसके वजूद को बचाए रखने के लिए बस्तर कमिश्नर श्याम जी ने नायब आदेश सभी संभागीय नक्सली जिलों के प्रशासन को दिए हैं।
देवी-देवता की जब लगती है पंचायत
शायद किसी के लिए भी चौंकाने वाली बात होगी। क्योंकि यहां साल में एक बार सभी देवी देवताओं की पंचायत लगती है। जहां सभी लोग जुटते हैं और खुद माध्यम बनकर देवी देवता सांकेतिक बातचीत करते हैं। कुछ मन्त्रों के माध्यम से कर्मों का लेखा जोखा होता। मान्यता सभी देव स्वरूप शक्तियां लोगों के आपदाकाल में एक दिव्य शक्ति के रूप में प्रकट होकर बचाव करती हैं। जहां देश विदेश के लोग अनोखे मेले को देखने के लिए जगदलपुर आते हैं।
कमिश्नर श्याम धावड़े को सभी ने धन्यवाद दिया
छत्तीसगढ़ के बस्तर में देवगुड़ी, मातागुड़ी, घोटूल, मृतक स्मारकों को संरक्षित करने के लिए सामुदायिक वन अधिकार पत्र संबंधित अब देवी-देवताओं के नाम पर जारी होगा। बस्तर कमिश्नर श्याम धावड़े ने अफसरों की बैठक के दौरान उन्हें निर्देश दिया है। देव स्थलों को संरक्षित करने के लिए कैफियत कालम दर्ज करने राजस्व अधिकरियों के कार्य की सराहना भी की।