सुप्रीम कोर्ट में ‘अनवर ढेबर’ की याचिका पर सुनवाई! पढ़ें, ED को क्या मिली हिदायत

By : hashtagu, Last Updated : May 16, 2023 | 6:46 pm

रायपुर। आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शराब घोटाले में सुनवाई करते हुए श्रीमती करिश्मा ढेबर को बड़ी राहत प्रदान की है। ईडी के वकील संजय किशन कौल एवं असुनद्दीन अमनुल्ला के सामने आश्वस्त किया कि वे श्रीमती करिश्मा अनवर ढेबर (Karishma Anwar Dhebar) को गिरफ्तार नहीं करेंगे, अगर वे इन्वेस्टीगेशन में भाग लेंगी। अनवर ढेबर की याचिका स्वीकार करके ईडी को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए। अनवर ढेबर का अंतरिम जमानत आवेदन पर भी नोटिस करते हुए एक सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने तथा 29 मई को वेकेशन जज के समक्ष सुनवाई करने के निर्देश दिए गए।

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से आबकारी घोटाले में याचिका में इंटरवेशन एप्लीकेशन दाखिल कर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य में ईडी अधकिारियों द्वारा आबकारी विभाग के अधिकारियों पर आबकारी घोटाले में मुख्यमंत्री को शामिल होने का तथ्य स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। तथा प्रताडि़त किया जा रहा है। अन्यथा जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री को आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों द्वारा लिखित में अभ्यावेदन प्रस्तुत कर अपनी पीड़ा व्यक्त की गई है। यह एक अभूतपूर्व घटना है, जो पूर्व में कभी देखी सुनी नहीं गयी है।

राज्य में 6 माह बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ईडी अधिकारियों द्वारा राज्य की ब्यूरोक्रेसी के बीच डर एवं आतंक का वतावरण बनाया जा रहा है। ताकि राज्य का पूरा शासकीय कार्य ठप हो जाये तथा जिसका राज्य सरकार को आगामी चुनावों में खामियाजा उठाना पड़े।

इस पर बेंच द्वारा कहा गया कि हमें यह स्पष्ट नहीं है कि श्री सिब्बल द्वारा लगाए गए आरोप सही है अथवा नहीं, किंतु यदि ये आरोप सही हैं तो यह अत्यंत गंभीर बात है, जिसकी सुनवाई आवश्यक है। बेंच ने ईडी के अधिवक्ता को शासन की याचिका पर जवाब प्रस्तुत करने हेतु 4 सप्ताह का समय प्रदान किया गया।

आबकारी घोटाले में ही अन्य व्यक्तियों द्वारा याचिका में याचिकाकर्ता के अधिवकताओं द्वारा बेंच को बताया गया कि ईडी अधिकारियों द्वारा हमें गिरफ्तार करने की धमकी दी जाकर प्रताडि़त किया जा रहा है। जिस पर रोक लगाया जाना आवश्यक है। जिस पर बेंच द्वारा ईडी के अधिवक्ता एसवी राजू को ताकिद किया कि ईडी अधिकारियों को समझाइश दें कि सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण की सुनवाई लंबित रहने के दौरान लोगों को प्रताडि़त न किया जाये तथा इस तरह की प्रताड़ना की कार्यवाही पर रोक लगायी जानी चाहिए।

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