छत्तीसगढ़। सच है जब कुछ स्वार्थवश किया जाता है तो कुछ भी हासिल नहीं होता। अगर आप सच्चे मन से किसी भी काम को करें तो आपको बिना मांगें ही बहुत कुछ मिल जाता है। जी, हां कुछ ऐसी ही कहानी राज्यपाल अनुसुईया उइके (Anusuiya Uike) की है। उन्होंने शनिवार को बीटीआई कॉलेज (BTI College) में 1997 बैच के सिलवर जुबली कार्यक्रम में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसुईया उइके थीं। उन्होंने कार्यक्रम में अपने राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वो राज्यपाल कैसे बनीं। उनके पास अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया था। तब वो दिल्ली में थीं। उन्हें पता भी नहीं था कि वो राज्यपाल बनने जा रही हैं। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि राजनीति जितनी आसान दिखती है उतनी आसान नहीं है। राजनीति में बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। लोग सोचते हैं कि हम मेहनत करेंगे तो हमें ये मिलेगा, लेकिन उन्होंने कभी कुछ पाने के लिए राजनीति में मेहनत नहीं की। उन्होंने राजनीति सेवा भावना के लिए की है।
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके शनिवार को दुर्ग प्रवास पर पहुंचीं। आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल ने कहा वे एक संवैधानिक पद पर हैं। इसलिए जो भी होगा वह नियम, प्रक्रिया और कानून के तहत ही होगा। उन्होंने राज्य सरकार से १० सवालों के जवाब मांगे हैं। सरकार से उसके जवाब आ आएं, इसके बाद ही उस पर विचार करेंगी।
छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक को राजभवन से मंजूरी नहीं मिली है। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने विधेयक के १० बिंदुओं पर आपत्ति करके सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार ने प्रदेश में एससी १३, एसटी ३२, ओबीसी २७ और ईडब्ल्यूएस के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्राविधान किया है। इस तरह कुल ७६ प्रतिशत आरक्षण का प्राविधान होने से मामला अटका हुआ है।