CG-Inside Story : विधानसभा में जमकर चले ‘शब्दभेदी’ तीखे सियासी बाण….कल 11 बजे तक के लिए स्थगित
By : madhukar dubey, Last Updated : July 22, 2024 | 5:36 pm
रायपुर। विधानसभा सत्र (CG Assembly session) का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा। इस दौरान सत्ता-पक्ष में जमकर तीखी बहसबाजी का दौर रहा है। इसमें सबसे प्रमुख मुद्दा था, बालौदाबाजार हिंसा और जमीन पट्टे (Balodabazar violence and land lease) का विवाद। इसके अलावा ऐसे भी मौके आए जब सत्ता पक्ष के भाजपा विधायकाें ने कई विषयों को लेकर मुखर दिखे। वैसे जनहित से जुड़े मुद्दों पर बड़े ही सधे अंदाज में मंत्री और मुख्यमंत्री जवाब देते नजर अाए। लेकिन इन सबसे इतर, विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज पहले दिन तेवर में दिखे।इस दौरान विपक्षियों ने सदन में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद काम रोको प्रस्ताव की सूचना पर भूपेश बघेल ने बलौदाबाजार आगजनी का विस्तार से जिक्र किया।
बघेल ने आरोप लगाया कि बलौदाबाजार की घटना एक बड़ी साजिश है। सरकार के सीने पर लगा बड़ा दाग है। आंदोलन प्रदर्शन का इंतजाम एसपी और कलेक्टर ने कराया था। कवासी लखमा ने कहा कलेक्टर ऑफिस जला दिया गया। एसपी कलेक्टर को जेल भेज देना चाहिए। कांग्रेस सदस्य रामकुमार यादव ने कहा कि आजाद भारत और उससे पहले 2सौ साल अंग्रेजों ने शासन किया था लेकिन कलेक्टर और एसपी दफ्तर नहीं जला था। विपक्ष के सदस्यों ने कटाक्ष किया कि यह सब विष्णु के सुशासन में हुआ है।
- प्रश्रकाल के तुरंत बाद पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने काम रोको प्रस्ताव की सूचना देकर चर्चा कराने की मांग की। इस दौरान सत्ता पक्ष ने न्यायिक आयोग की जांच का हवाला देकर चर्चा न करने की मांग रखी। अजय चंद्राकर ने कहा कि स्थगन स्वीकार करने योग्य नहीं है। तब विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने व्यवस्था दी कि अभी मैं विषय की ग्राह्यता पर सदस्यों के विचार सुन रहा हूं। इसलिए चंद्राकर की आपत्ति खारिज की जाती है।
भूपेश ने चर्चा के बताये नियम
सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा स्थगन के विषय को न्याय प्राधिकरण के विचार अधीन बता चर्चा न करने की मांग पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति की। भूपेश बघेल ने अध्यक्ष की अनुमति से ऐसे विषय पर चर्चा की अनुमति दिए जाने का नियम पढ़कर सुनाया। इस सत्ता पक्ष के विधायकों ने आपत्ति की और बघेल को चर्चा से रोका। इस टोका टाकी पर विपक्ष सदस्यों ने जताई नाराजगी।
विपक्षी सदस्य हुए निलंबित, सदन स्थगित
दोबारा कार्रवाई शुरू हुई तो सत्ता और विपक्ष के सदस्यों के बीच तकरार चलती रही। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में चले गए और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल सहित सभी सदस्य सदन की कार्रवाई से स्वमेव निलंबित हो गए। इसके कुछ देर बाद सदन की कार्रवाई मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विधायक जनक ध्रुव ने गरियाबंद के मैनपुरी में आदिवासी परिवार को जमीन का पट्टा देने के मामले में सरपंच और सचिव के फर्जी हस्ताक्षर होने की बात कही। ध्रुव ने इसमें विधायकों की समिति बनाकर जांच की मांग की। राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि कलेक्टर ने जांच की थी, कुछ भी ऐसे नहीं पाया गया इसलिए इस शिकायत को विलोपित किया गया। ध्रुव ने कहा कि जानकारी देने वाले अफसरों ने मंत्री और इस सदन काे गुमराह किया है।
जवाब में मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि ये कांग्रेस शासनकाल का मुद्दा है, विधायक के पास जो भी तथ्य हैं हमें उपलब्ध करवाइए हम जांच कर लेंगे। ये सुनकर कांग्रेस के विधायक नाराज हुए। उमेश पटेल ने कहा कि यहां फर्जी साइन की बात है जांच होनी चाहिए कि आखिर साइन कहां से आए।
- भूपेश बघेल भी उठ खड़े हुए उन्होंने कहा कि ये मामला दिसंबर 2018 का है तब हमारी सरकार नहीं थी भाजपा की थी। तो सरकार चाहे किसी की भी हो जांच तो होना चाहिए। डॉ रमन सिंह ने कहा- मंत्री कह चुके हैं कि तथ्य उपलब्ध करवा दीजिए देख लेंगे।
इसके बाद जगदलपुर विधायक किरणदेव ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा का सवाल उठाया, हालांकि तब तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रश्नकाल का समय खत्म होने की वजह से डॉक्टर रमन सिंह ने प्रश्नकाल समाप्त होने की घोषणा कर दी।
रायपुर विधायक मोतीलाल साहू ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से पूछा- जानकारी मिली है कि मेरे क्षेत्र में शिक्षकों के 1954 पद रिक्त हैं। रायपुर ग्रामीण इलाके में हायर सेकेंडरी तक स्कूल हैं जहां अधिकांश में शिक्षकों की कमी है।
विधायक मोतीलाल साहू ने सवाल किया- माना कैंप का हिंदी मीडियम स्कूल है जहां पर छठवीं से आठवीं तक के लिए दो शिक्षक हैं। वहीं पर हिंदी मीडियम हायर सेकेंडरी स्कूल है जिसमें 9वीं से लेकर 12वीं तक के लिए तीन शिक्षक हैं। शिक्षकों की कमी के कारण गरीब बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसके जवाब में कहा– मैं सदस्य की चिंता से सहमत हूं लेकिन पूरे प्रदेश में देश का जो औसत है 26 स्टूडेंट में 1 शिक्षक छत्तीसगढ़ में 21 स्टूडेंट में 1 शिक्षक है फिर भी शिक्षकों की यहां पर कमी है।
प्रदेश में करीब 300 स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक नहीं स्कूल है। तो इसके लिए युक्तियुक्तकरण (जहां अधिक टीचर होंगे वहां से कम टीचर वाले स्कूल में भेजा जाएगा) की प्रक्रिया कर रहे हैं। युक्तियुक्तकरण के बाद सुधार आएगा। उसके बाद शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आगे करेंगे।
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