हसदेव-तमनार की सच्चाई देखने की हिम्मत करें केदार कश्यप: दीपक बैज का आरोपों से वार

By : dineshakula, Last Updated : July 16, 2025 | 12:12 am

रायपुर: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज (Deepak Baij) ने छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने मंत्री को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि अगर उन्हें लगता है कि प्रदेश में आदिवासियों का विकास हो रहा है, तो मेरे साथ हसदेव और तमनार चलें। वहां की ज़मीनी सच्चाई देखकर शायद उनकी पैंट भीग जाए। बैज बोले, “अगर आप सच में आदिवासियों के हालात से वाक़िफ़ हैं, तो बैलाडीला और कोरंडम की खदानों में चलिए और आदिवासियों से सीधे मिलिए। सब समझ आ जाएगा।”

बैज ने कहा कि केदार कश्यप आदिवासियों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं, उल्टा जंगलों की कटाई ज़ोरों पर है। “आप वन मंत्री हैं, लेकिन जंगल उजड़ रहे हैं। इस पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। कुर्सी छोड़ दीजिए और आदिवासियों की लड़ाई लड़ने के लिए रास्ता छोड़िए।”

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के कई आदिवासी युवा आज बेरोजगार हैं। सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे पा रही। बैज ने कहा, “हमारे आदिवासी भाई-बहन नौकरी की आस लगाए बैठे हैं। ऐसे में अगर आप कुछ नहीं कर पा रहे, तो कुर्सी खाली करिए। कोई और आकर काम करेगा।”

बैज ने केदार कश्यप से सीधे कई सवाल किए –

  • आप 16 साल 8 महीने मंत्री रहे, आदिवासियों के लिए क्या किया?

  • आपकी सरकार ने 3500 स्कूल बंद कर दिए, अब 10,463 स्कूल आदिवासी क्षेत्रों में बदहाल हैं। क्या आपने देखा है?

  • बस्तर में हज़ारों आदिवासियों को झूठे नक्सली मामलों में जेल भेजा गया, आप कहां थे?

  • आदिवासियों के खिलाफ हुए फर्जी एनकाउंटरों पर आपकी क्या भूमिका थी?

  • बोधघाट परियोजना से 42 गांव उजड़ने वाले हैं, इस पर आप चुप क्यों हैं?

  • बीजापुर में एक निर्दोष आदिवासी रसोइया की मौत हुई, जो स्कूल में काम करता था, आपने आवाज क्यों नहीं उठाई?

  • तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना बंद कर दी गई, उनका पैसा दबा लिया गया – आपने कुछ कहा?

भाजपा ने बैज पर पलटवार करते हुए बयान को “बेतुका” कहा। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कि बैज खुद अपने कार्यकाल का हिसाब देने की बजाय उल्टे सवाल कर रहे हैं। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए तीन सांसद भेजे, लेकिन किसी आदिवासी को क्यों नहीं चुना?

उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि “आदिवासियों की बात सिर्फ चुनाव के समय होती है। छात्रावासों में बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाएं कांग्रेस सरकार में हुईं, और जब वे गर्भवती हुईं, तब बात खुली। तेंदूपत्ता संग्राहकों को समय पर मेहनताना नहीं मिला।”

इसी कड़ी में केदार कश्यप ने भी राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं पर सवाल दागे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आदिवासी नेताओं से सिर्फ दिखावे की मुलाकात करते हैं, जबकि उनकी पार्टी ने राज्यसभा में छत्तीसगढ़ के किसी आदिवासी को टिकट नहीं दिया।

उन्होंने पूछा कि जब भूपेश सरकार आदिवासियों के खिलाफ काम कर रही थी, तब दीपक बैज और मरकाम ने चुप्पी क्यों साध ली थी? धर्मांतरण की वजह से बस्तर और सरगुजा में वर्ग संघर्ष की स्थिति बन रही थी, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने कुछ नहीं किया।

केदार ने कहा कि आदिवासी हितों की बात राहुल गांधी से करने की हिम्मत दीपक बैज नहीं जुटा पाए। वे दिल्ली जाकर बस “सर नमस्ते” करके लौट आए। अगर कांग्रेस सच में आदिवासियों की हितैषी होती, तो ज़मीन पर कुछ बदलाव दिखता।