नक्सली नेता बसवराजू का अंतिम संस्कार: नारायणपुर में पुलिस सुरक्षा के बीच प्रशासन ने किया अंतिम संस्कार
By : ira saxena, Last Updated : May 27, 2025 | 9:12 am
नारायणपुर, छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले (Narayanpur district) में सोमवार को मुठभेड़ में मारे गए प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बसवराजू समेत आठ नक्सलियों के शवों का अंतिम संस्कार पुलिस सुरक्षा के बीच कराया गया। यह कार्रवाई तब की गई जब शव लेने का दावा करने वाले परिजन न तो वैध दस्तावेज प्रस्तुत कर सके और न ही शवों को ले जाने के लिए कोई कानूनी प्रमाण दिखा सके।
21 मई को बीजापुर-नारायणपुर सीमा पर अबूझमाड़ के जंगलों में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में बसवराजू समेत कुल 27 नक्सली मारे गए थे। इस अभियान में जिला रिजर्व गार्ड (DRG) के दो जवान भी शहीद हो गए थे।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि सभी 27 शवों में से 19 शव कानूनी प्रक्रिया और दस्तावेजों की पुष्टि के बाद उनके पात्र परिजनों को सौंप दिए गए। वहीं आठ शवों को लेने के लिए या तो कोई सामने नहीं आया या फिर संबंध साबित नहीं कर पाया। ऐसे में बसवराजू समेत इन आठ नक्सलियों का अंतिम संस्कार स्थानीय प्रशासन द्वारा नारायणपुर में सोमवार को कर दिया गया।
क्या कहा पुलिस ने?
पुलिस के अनुसार, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई थीं जिनमें बसवराजू और नवीन के शवों की मांग की गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ के संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं, लेकिन शव सौंपने का कोई निर्देश कोर्ट ने नहीं दिया।
कुल पांच समूह, जिनमें याचिकाकर्ता भी शामिल थे, नारायणपुर पहुंचे लेकिन वे अपने रिश्ते को साबित करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं दे सके। इस बीच, एक मृत नक्सली कोसी उर्फ हुंगी के परिजनों ने दस्तावेज प्रस्तुत कर शव प्राप्त किया और संक्रमण की आशंका के चलते नारायणपुर में ही अंतिम संस्कार कराया।
‘अपने ही लोगों ने छोड़ दिया’
पुलिस अधिकारी सुंदरराज ने कहा, “प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि बसवराजू और उसके साथियों को उनके अपने ही लोगों ने त्याग दिया। वहीं, राज्य प्रशासन ने अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया को मानवीय गरिमा और कानूनी रूप से संपन्न किया।”
पुलिस ने यह भी दावा किया कि माओवादी संगठन और उसके समर्थक बसवराजू के शव को आंध्र प्रदेश या तेलंगाना ले जाकर भव्य अंतिम संस्कार की साजिश रच रहे थे ताकि माओवादी विचारधारा को महिमामंडित किया जा सके। इसे सुरक्षाबलों ने विफल कर दिया।
परिजनों का आरोप: शव नहीं सौंपा गया
बसवराजू का दावा करने वाले नंबाला जनार्दन राव ने नारायणपुर में ‘पीटीआई’ से कहा, “हम अपने चाचा नंबाला केशव राव का शव लेने आए थे। लेकिन पुलिस ने केवल हमारा नाम लिया और बाद में कह दिया कि शव की स्थिति खराब है, इसलिए यहीं अंतिम संस्कार किया जाएगा। हमें शव देखने तक नहीं दिया गया।”
सामाजिक कार्यकर्ता का आरोप: ‘संविधान का उल्लंघन’
नारायणपुर में सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने पुलिस पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो हर नागरिक को गरिमापूर्ण मृत्यु और शव के सम्मान का अधिकार देता है।
भाटिया ने कहा, “कई अदालती फैसलों में स्पष्ट किया गया है कि मृत शरीर के भी अधिकार होते हैं और परिवार को अंतिम संस्कार का अधिकार है। लेकिन यहां बिना परिजनों की अनुमति के जबरन अंतिम संस्कार किया गया, यह न केवल अमानवीय है बल्कि गैरकानूनी भी है।”



