कानून उत्पीड़न का साधन नहीं बल्कि न्याय प्रदान करने का उपकरण है- रमेश सिन्हा

By : hashtagu, Last Updated : September 22, 2024 | 11:30 pm

  • रायपुर में न्यायिक अधिकारियों की डिवीजनल सेमीनार का मुख्य न्यायाधिपति महोदय द्वारा किया गया शुभारंभ
  • आम जनता को न्यायपालिका से शीघ्र व निष्पक्ष न्याय की उम्मीद
  • न्यायाधीशगण अपने न्यायिक कर्तव्य का निर्वहन न्यायपूर्ण तरीके से निडरता के साथ करें
  • रायपुर, 22 सितम्बर 2024/रायपुर के न्यू सर्किट हाउस के सभागार में आज 22 सितम्बर को रायपुर संभाग के जिले रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार एवं महासमुंद के न्यायिक अधिकारियों का डिवीजनल सेमीनार छ.ग.राज्य न्यायिक अकादमी के तत्वाधान में आयोजित किया गया। इस डिवीजनल सेमीनार का उद्घाटन (Inauguration of Divisional Seminar) छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा (Justice Ramesh Sinha) द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया।

    मुख्य न्यायाधिपति  ने अपने उद्बोधन में न्यायिक कार्य के महत्व व चुनौती के बारे में बताते हुए कहा कि न केवल हाईकोर्ट बल्कि जिला न्यायपालिका में विविध प्रकार के समसामयिक महत्व के विवाद आते रहते हैं जो न्यायाधीशगण को न्याय प्रशासन में अपना अवदान देने व स्वयं को साबित करने का अवसर होते हैं।

    मुख्य न्यायाधिपति ने न्यायिक अधिकारियों को उनके कर्तव्य की महत्ता को याद दिलाते हुए कहा कि ’’न्यायाधीश उन कुछ भाग्यशाली लोगों में हैं जिन्हें लोगों को न्याय प्रदान करने का अवसर प्राप्त होता है। न्यायिक सेवा अन्य सामान्य शासकीय सेवा की तरह नहीं हैं बल्कि न्यायाधीशगण लोक विश्वास का पद धारित करते हैं और न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता न्यायाधीश का पद धारित करने वाले व्यक्तियों पर निर्भर है। इसलिए न्यायाधीश को सीजर की पत्नी की तरह सभी संदेहों से ऊपर होना चाहिए।

    • मुख्य न्यायाधिपति ने साधारण व्यक्ति की न्यायपालिका से क्या अपेक्षाएं हैं;

    इस संबंध में बताया कि एक साधारण व्यक्ति न्यायपालिका से निष्पक्ष व त्वरित न्याय की उम्मीद करता है और इसके लिए न्यायाधीश को अपने कर्तव्यों का निर्वहन सत्यनिष्ठा , निष्पक्षता , ईमानदारी व प्रतिबद्धता के साथ करना चाहिए।

    मुख्य न्यायाधिपति ने कहा कि जिस समाज में हम रहते हैं वह समाज गतिशील है व समय के साथ बदलता रहता है और जो विधि समाज के साथ व्यवहरित करती है वह भी बदलती रहती है। ऐसी दशा में न्यायपालिका समाज को स्फूर्त बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

    मुख्य न्यायाधिपति  ने समय के साथ विधि के क्षेत्र में आने वाले बदलाव पर भी ध्यान केन्द्रित करने के लिए कहा और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, फारेंसिक साईंस आदि के संबंध में न्यायाधीशगणों को अद्यतन रहने को कहा और यह भी व्यक्त किया कि इस तरीके के सेमीनार न्यायिक अधिकारियों को सामूहिक विचार-विमर्श व अनुभवों का आदान प्रदान का अवसर प्रदान करते हैं।

    मुख्य न्यायाधिपति ने बलात्कार पीड़िता के गर्भ समापन को एक जटिल व संवेदनशील विषय बताया और कहा कि जिन मामलों में न्यायालय की अनुमति की आवश्यकता नहीं है, उन मामलों में भी रेप पीड़िताओं को गर्भ समापन के लिए उच्च न्यायालय आना पड़ रहा है जबकि चिकित्सकीय गर्भ समापन अधिनियम में बलात्कार पीड़िताओं के संबंध में विधि के प्रावधान स्पष्ट हैं। माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय ने विश्वास व्यक्त किया कि आज का सेमीनार उक्त के संबंध में विधि की समझ को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।

    • मुख्य न्यायाधिपति ने प्रकरणों के निराकरण में होने वाले विलंब पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पक्षकार शीघ्र न्याय चाहता है और कई बार प्रकरण के निराकरण में में विलंब कारित करने के लिए कुछ पक्षकार विलंबकारी युक्तियंा अपनाते हैं , ऐसे युक्तियों से निपटने में न्यायिक अधिकारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है और त्वरित व साहसी निर्णय तथा उदारतापूर्व स्थगन प्रदान करने से बचकर ऐसे विलंबकारी युक्तियों को हतोत्साहित किया जा सकता है।

    मुख्य न्यायाधिपति ने न्यायिक अधिकारियों से आह्वान किया कि वे अपने न्यायिक कर्तव्यों का निर्वहन न्यायपूर्ण तरीके से निर्भीकता के साथ करें और विधि को उत्पीड़न का साधन नहीं बनने देना चाहिए बल्कि विधि को न्याय प्रदान करने के उपकरण के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधिपति महोदय ने न्यायाधीशगण को आश्वस्त किया कि शीघ्र व निष्पक्ष न्याय प्रदान करने के लिए उठाए गए कदमों को उच्च न्यायालय का पूर्ण समर्थन प्राप्त होगा।

    • इस संभागीय सेमीनार में छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के माननीय श्री न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू द्वारा संबोधित किया गया । डिवीजनल सेमीनार में स्वागत भाषण प्रधान जिला न्यायाधीश रायपुर श्री अब्दुल जाहिद कुरैशी के द्वारा और परिचयात्मक उद्बोधन श्री सिराजुद्दीन कुरैशी डायरेक्टर छत्तीसगढ ज्यूडिशियल एकेडमी के द्वारा दिया गया। इस डिवीजनल सेमीनार में रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार एवं महासमुंद जिले के कुल 111 न्यायाधीशगण प्रतिभागी के रूप में सम्मिलित हुए। इस सेमीनार में पीसीपीएनडीटी अधिनियम, गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, सिविल ला, फारेंसिक साईंस, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस आदि विषयों पर प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुति दी गई।