रायपुर: छत्तीसगढ़ में आज से स्वास्थ्य सेवाएं (health services) प्रभावित हो सकती हैं। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ तीन दिनों के निश्चितकालीन आंदोलन पर जा रहा है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर नर्सिंग ऑफिसर्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के सदस्यों ने 29, 30 और 31 दिसंबर के आंदोलन के लिए फॉर्म भर दिए हैं। इसका असर सरकारी अस्पतालों की नियमित सेवाओं पर पड़ने की आशंका है।
यह आंदोलन संघ के चरणबद्ध कार्यक्रम का चौथा चरण है। नर्सिंग ऑफिसर्स एसोसिएशन ने साफ किया है कि यदि तीन दिन के इस आंदोलन के बाद भी शासन ने उनकी प्रमुख मांगों पर गंभीरता नहीं दिखाई तो प्रदेश स्तर पर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा। ऐसी स्थिति में अस्पतालों का कामकाज पूरी तरह प्रभावित हो सकता है।
संघ ने यह भी स्पष्ट किया है कि गंभीर और अति आवश्यक सेवाएं बंद नहीं की जाएंगी। गंभीर मरीजों की देखभाल के लिए न्यूनतम आवश्यक संख्या में नर्सिंग स्टाफ ड्यूटी पर रहेगा। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशासन के आग्रह पर आंदोलन के बावजूद नर्सिंग संवर्ग ने सेवाएं जारी रखीं जिससे मरीजों और प्रबंधन दोनों को राहत मिली।
नर्सिंग ऑफिसर्स एसोसिएशन की कुल 11 प्रमुख मांगें हैं। इनमें वर्ष 2018 में गठित समिति की अनुशंसाओं को तत्काल लागू करने की मांग शामिल है। डॉ भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर में स्वीकृत 526 पदों में से करीब 400 रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती की मांग की गई है। संविदा और डेली वेजेस कर्मचारियों को उसी अस्पताल में नियमित करने और समान काम के लिए समान वेतन देने की बात कही गई है।
संघ स्टाफ नर्स का पदनाम नर्सिंग ऑफिसर और नर्सिंग सिस्टर का पदनाम सीनियर नर्सिंग ऑफिसर किए जाने की मांग कर रहा है। केंद्र सरकार के अनुरूप 7200 रुपये नर्सिंग अलाउंस और 1800 रुपये वाशिंग अलाउंस देने की भी मांग है। रायपुर अंबिकापुर और बिलासपुर मेडिकल कॉलेजों में अध्ययन अवकाश के लिए एनओसी और वेतन भुगतान सुनिश्चित करने की मांग भी शामिल है।
नर्सिंग स्टाफ ने ड्यूटी के दौरान बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच व्यवस्था की मांग रखी है। इसके साथ ही 10 20 और 30 वर्ष की सेवा पर मिलने वाले समयमान वेतनमान को ब्याज सहित देने की मांग की गई है। नर्सिंग संवर्ग और उनके परिवार के लिए कैशलेस इलाज सुविधा तथा सहायक नर्सिंग अधीक्षक नर्सिंग प्रदर्शक और नर्सिंग सिस्टर के पदों पर पदोन्नति की मांग भी आंदोलन का हिस्सा है। गंभीर मरीजों के परिजनों के ठहरने खाने और शौचालय की सुविधा के लिए भवन निर्माण की मांग भी रखी गई है।
संघ के अनुसार इससे पहले मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। काली पट्टी लगाकर काम किया गया और 15 16 व 17 दिसंबर को अस्पताल परिसरों में एक घंटे का सांकेतिक प्रदर्शन भी किया गया। इसके बावजूद शासन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस बातचीत नहीं की गई।
संघ का आरोप है कि उल्टा चौथे चरण के आंदोलन से पहले अस्पताल प्रशासन द्वारा नर्सिंग स्टाफ को डराने वाले पत्र जारी किए गए हैं। नर्सिंग संगठनों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल तृतीयक और अति आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में आते हैं। यहां कार्यरत स्टाफ नर्स की न्यूनतम योग्यता चार वर्ष का बीएससी नर्सिंग है लेकिन उन्हें एक साल के सर्टिफिकेट कोर्स वाले पैरामेडिकल कर्मियों के समान वेतनमान और ग्रेड पे दिया जा रहा है।
नर्सिंग संवर्ग का कहना है कि वह पिछले दस वर्षों से अपने पेशे के सम्मान अधिकार और सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है लेकिन समाधान के बजाय दमनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।