बाघ के मौत पर हड़कंप : रायपुर-मध्यप्रदेश के अफसरों की टीम जांच में जुटी

By : hashtagu, Last Updated : November 9, 2024 | 5:40 pm

  • रिपोर्ट आने के बाद खुलासा होगा किस वजह से हुई मौत
  • जिम्मेदार अफसरों ने साधी चुप्पी, इनके गश्त पर उठे सवाल
  • बैकुंठपुर। कोरिया जिले में बाघ की मौत के बाद से वन विभाग में हड़कंप(Panic in the forest department) मचा हुआ है। मृत बाघ के शव का पोस्टमार्टम करने के लिए रायपुर और मध्यप्रदेश से अफसरों की टीम और तीन सदस्यीय चिकित्सक दल मुख्यालय पहुंचा, जहां मृत बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया गया। वैसे अभी तक पीएम रिपोर्ट का खुलासा अधिकारियों ने नहीं किया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक बाघ के कुछ अंग गायब होने की चर्चा है। बहरहाल, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
    वहीं ग्रामीणों की बातों को मानें तो बाघ की मौत(death of tiger) तीन से चार दिन पूर्व हो गई थी। क्योंकि बाघ के शव का रंग काला पड़ गया था और शव से दुर्गंध आने लगी थी। सूचना बावजूद मौके पर वन विभाग का अमला दो दिन बाद पहुंचा। तक शव की निगरानी ग्रामीण ही कर रहे थे। ऐसे में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है।

    बाघ के मौत की सूचना पर देरी से पहुंचे अफसर, कर्मचारी मना रहे छुट्टी

    सरगुजा वन वृत के सीसीएफ देर रात मौके पर पहुंच कर तफरी करते देखे गए। साथ ही मीडिया प्रतिनिधि को अंदर जाने की अनुमति नहीं होने का हवाला देकर रोक दिया गया। वहीं बाघ की मौत तब हुई जब वन विभाग के जिम्मेदार वन की निगरानी के बजाय अपने मातहतों को लेकर राज्योत्सव में सेवा सत्कार में दो दिनों तक जमे रहे। वहीं कर्मचारी मुख्यालय छोड़ दिवाली छुट्टियां मना रहे थे।

    बाघों की आवाजाही से बेखबर था वनमंडल

    वहीं इस बाघ के आने की कोई भी जानकारी राष्ट्रीय उद्यान गुरुघासीदास व कोरिया वन मंडल को नहीं थी। जबकि कोरिया जिले में इनदिनों मध्यप्रदेश के संजय राष्ट्रीय उद्यान व बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से बाघों का आना जाना लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार 8 नवंबर शुक्रवार को दोपहर बाद सोशल मीडिया में बाघ की मौत की तस्वीरें वायरल हुई। जिसके बाद कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अफसर अपने अमले के साथ तीन बजे मौके पर पहुंचे।

    अधिकारियों ने ये कहा

    वन अधिकारियों ने बताया कि बाघ के नाखून और मूंछें सही सलामत है, बाघ पूर्ण व्यस्क नर बाघ है, उसके पहले कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में आवाजाही का रिकार्ड नहीं है। जिससे साफ है कि कहीं ना कहीं विभाग बाघ के आने जाने विचरण के कार्य में लापरवाही बरत रहा है।

    ऑरेंज एरिया में हुई बाघ की मौत

    आजादी के बाद वन क्षेत्र के सीमांकन से छूटे क्षेत्र को ऑरेंज एरिया कहा जाता है, जहां बाघ की मौत हुई है वह ओरेंज एरिया है हलांकि यह कोरिया वन मंडल के सोनहत वन सीमा में ही आता है, बैकुंठपुर से 80 किमी दूर स्थित ग्राम कटवार के पास निकलने वाले नाले के पास बाघ का शव पाया गया है। मौत के स्थान से लगभग 1 किमी की दूरी पर गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान शुरू हो जाता है। वहीं ग्रामीणों ने बाघ के आराम करने की वजह से घटना स्थल पर हमले के डर से जाना उचित नही समझा।

    पूर्व में हो चुकी है दो बाघ की मौत

    वर्ष 2022 में इसी क्षेत्र में गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत रेंज में एक बाघिन की मौत हुई थी, स्थान था ग्राम सलगवांकला, जिसके बाद 4 लोगों को भैस के मांस में जहर देकर बाघ को मारे जाने की बात सामने आई थी और चारों पर विभाग ने कार्यवाही की थी, इसके पूर्व 2018 में इसी क्षेत्र के ग्राम सुकतरा में एक बाघ की मौत सामने आई थी, अब इसी क्षेत्र में बाघ के मारे जाने की तीसरी बड़ी घटना सामने आई है।

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