छत्तीसगढ़ (मधुकर दुबे /भोजेंद्र वर्मा)। विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) की रणभेरी बज चुकी है। जनता के बीच जाने से पूर्व कांग्रेस और बीजेपी (Congress and BJP) अपने-अपने संगठनों को चुस्त-दुरुस्त करने में जुटी है।छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पूर्व सियासी मुद्दे की फसल दोनों पार्टियों ने तैयार कर लिए हैं। इसलिए इनका पूरा फोकस संगठन के मजे हुए खिलाडि़यों की तैनाती करना अब लक्ष्य है।
इसमें प्रत्याशियों की तलाश और वर्तमान विधायकों की सक्रियता और उनके कामकाज को समझने के लिए दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व पूरा ध्यान दे रहा है। ताकि टिकट उसी को दिया जाए, जिसकी जनता के बीच बराबर पहुंच और सुलभता बीते वर्षों में सर्वाधिक रही हो। चाहे वह विधायक हों या पदाधिकारी। इसके पीछे कारण है, दोनाें पार्टियों के लिए लोकसभा चुनाव से पूर्व छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है।
जहां एक ओर कांग्रेस फिर दोबारा सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है। वहीं बीजेपी के लिए चुनौती है कि फिर से सत्ता में आए। इस टारगेट को पूरा करने के लिए BJP के शीर्ष नेतृत्व ने पूरा जोर लगा दिया है। ऐसे में दोनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रदेश प्रभारियों को बदल चुके है। एक ओर कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा हैं तो दूसरी ओर BJP के ओम माथुर। अभी तक बीजेपी का पूरा फोकस बस्तर ही रहा। ऐसे में ओम माथुर लगातार बस्तर का दौरा कर रहे हैं। ओम माथुर के दौर के शोर से कांग्रेस भी सक्रिय हो गई। वैसे कांग्रेस के सामने बस्तर को लेकर कोई खास चुनौती इसलिए नहीं हैं कि वहां कांग्रेस 12 विधानसभा सीटों पर काबिज है। लेकिन फिर भी इन सीटों को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस अपने विधायकों के रिपोर्ट कार्ड पर ध्यान दे रही है। ताकि कोई कोर कसर बाकी हो तो उसे दुरूस्त किया जा सके।
इधर, बीजेपी अपनी जमीन तलाशने के लिए बस्तर संगठन को एक नया स्वरूप देने के लिए जुटी है। यही वजह भी है कि बस्तर संभाग के प्रत्येक विधानसभावार संगठन के कार्यकर्ताओं से फीड बैक लेने के लिए ओम माथुर तीन दिनों के दौरे पर थे। वैसे ओम माथुर ने संकेत दिए हैं कि वहां पुराने मोहरों पर दांव BJP इस बार नहीं लगाएगी। ऐसे में बस्तर संभाग में एक नए संगठन नेतृत्व को उभारने की कोशिश में है। लेकिन अभी तक BJP ने अपने पूरे सियासी पत्ते नहीं खोले है।
बस्तर के दौरे पर गृहमंत्री अमित शाह भी आ चुके है। इधर बीच बीजेपी में चर्चा है कि अमित शाह 22 जून को फिर आने वाले हैं। यह तो तय है कि सत्ता की कुंजी बस्तर संभाग के रास्ते ही गुजरती है। अभी हाल ही में बस्तर में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने संगठन की बैठक ली हैं। जहां उन्होंने कहा, विधायकों के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही टिकट वितरण में प्राथमिकता दी जाएगी।
अब कांग्रेस-बीजेपी की नजरें बस्तर के बाद मैदानी इलाकों के विधानसभा क्षेत्रों में गड़ी हैं। कांग्रेस और बीजेपी की बस्तर में कार्यकर्ताओं की बैठक हुईं। इसके बाद अब कांग्रेस ने बिलासपुर और दुर्ग में संभागीय सम्मेलन करने जा रही है। इसके बाद कांग्रेस रायपुर और सरगुजा में संभागीय कार्यकर्ता में संगठन को मजबूत करने का लक्ष्य है। गौरतलब है कि जहां बीजेपी की सक्रियता के जवाब में कुमारी शैलजा ने बस्तर में बैठक कीं। वहीं अब कांग्रेस की छत्तीसगढ़ में संभागीय कार्यकर्ता सम्मेलन के जवाब में BJP भी एक्शन मोड में आ गई है। यही कारण है कि अमित शाह जहां 22 जून को दुर्ग में आ रहे है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा भी प्रस्तावित है।
इस बार BJP विधानसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर उतरेगी और पीएम मोदी के पिछले 9 सालों के कामों को लेकर जनता के बीच में जाएगी। एक कटु सत्य है कि बीते 15 साल की सत्ता में रमन राज में विकास कार्य हुए इसमें कोई शक नहीं है। सत्ता से बेदखल होने के पीछे राजनीतिक जानकार बताते हैं कि रमन सिंह के कामकाज पर प्रश्नचिह्न नहीं था। लेकिन उनके मिनिस्टर के कामकाज और उनके व्यवहार की वजह से एंटीकंबैंसी का माहौल बना था। उसके अलावा कुछ नौकरशाहों के हाथों सत्ता का विकेंद्रीकरण होना भी एक कारण था। यही कारण है कि ओम माथुर ने पुराने माेहराें पर दांव लगाने के मूड में नहीं हैं। चुनावी माहौल बनाने में पीएम मोदी की योजनाओं के साथ रमनकाल के 15 साल के कामों की ब्रांडिंग करने में जुटेगी। इसकी शुरूआत भी पीएम मोदी के 9 साल के कार्यकाल पूरे होने पर शुरू हो गई है। इधर कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर चुनाव में जाएगी। ऐसे में भूपेश के मजबूत किले को ढहाने में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
दूसरी ओर बीजेपी द्वारा कांग्रेस पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से उबरना भी है। बीजेपी के सभी आरोपों को कांग्रेस ने साजिश करार दिया है। देखा जाए तो चुनौतियां दोनों पार्टियों के लिए बराबर है। जहां बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर का दावा है कि हम पूर्ण की सरकार बनाने जा रहे हैं। वहीं कांग्रेस का भी दावा है कि भूपेश सरकार के कामकाज से जनता खुश है और कांग्रेस 75 प्लस के साथ दोबारा सत्ता में आएगी। वैसे इनके दावों की असली परीक्षा मतगणना के दिन होगी। फिलहाल, राजनीतिकार बताते हैं कि दोनों पार्टियों में कांटे के मुकाबले संभावित हैं।
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रिकार्ड जीत के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की 11 संसदीय सीटों में 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस परिणाम से यह साबित कर दिया कि मोदी को केंद्र की सत्ता में जनता देखना चाहती है। यही कारण है कि मोदी मैजिक के बलबूते बीजेपी विधानसभा चुनाव में उतरने का दम भरती दिख रही है।
कांग्रेस – 12
बीजेपी – 0
अन्य – 0
कांग्रेस – 14
बीजेपी – 5
अन्य – 1 jccj
3 . दुर्ग कुल 20
कांग्रेस – 18
बीजेपी – 2
अन्य – 0
कांग्रेस – 13
बीजेपी – 7
अन्य – 4
(2 बसपा 2 jccj)
कांग्रेस – 14
बीजेपी – 0
अन्य – 0
भाजपा – 22
कांग्रेस – 62
बसपा – 02
गोंगपा – 01
निर्दलीय – 02
असम्बद्ध – 01
( प्रथम निर्वाचन राज्य गठन के बाद)
भाजपा – 52
कांग्रेस – 34
बसपा – 01
एनसीपी – 01
रिक्त – 02
भाजपा – 49
कांग्रेस – 38
बसपा – 02
रिक्त – 01
भाजपा – 49
कांग्रेस – 39
बसपा – 01
निर्दलीय – 01
भाजपा – 15
कांग्रेस – 68
बसपा – 02
जनता कांग्रेस – 05
कांग्रेस – 71
भाजपा – 14
जनता कांग्रेस – 03
बसपा – 02
यह भी पढ़ें: मैथिली ठाकुर के लोकगीतों का चला जादू! भूपेश खड़े होकर बजाने लगे ताली