रेत पर छिड़ी सियासत ! दीपक बैज ने ‘BJP’ पर साधा निशाना
By : hashtagu, Last Updated : February 20, 2024 | 8:46 pm
रायपुर। सरकार द्वारा पीएम आवास के लिये छोटे ट्रैक्टर से रेत मुफ्त में देने की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज (State Congress President and MP Deepak Baij) ने कहा कि प्रदेश में चल रहे रेत घोटाले पर से ध्यान हटाने उसी गांव में पीएम आवास के लिये रेत मुफ्त (Sand free) देने की बात की जा रही जबकि रेत घाट वाले सभी गांव के लोगों को मुफ्त में रेत दी जानी चाहिये। अभी तक सरकार ने प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति ही नहीं किया तो रेत का क्या होगा? भाजपा सरकार ने 18.5 लाख आवास देने की घोषणा तो जरूर किया है लेकिन स्वीकृत किसी का नहीं किया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा स्वीकृत किये गये आवासो के अतिरिक्त किसी भी आवासहीन के खाते में 1 रू. भी साय सरकार ने नहीं डाला है।
- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार के संरक्षण के रेत तीन गुने दाम पर बिक रही है जो रेत दो महीने पहले 8 से 9 हजार रू. ट्रक में बिक रही है। वह भाजपा की सरकार आने के बाद 24 से 25 हजार रू. तक में बिक रही है। प्रदेश भर में भाजपाईयों के रेत खदान हथियाने के लिये माफियावार चल रहा है। सरकार के संरक्षण के कारण इस बंदरबांट का खामियाजा प्रदेश की जनता को उठाना पड़ रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने ठोस पॉलिसी बनाई थी, खनिज विकास निगम की निगरानी में प्रदेश के सभी 450 रेत खदानों में पारदर्शिता पूर्ण व्यवस्था बनाई थी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय रेत खदानों में लोडिंग चार्ज अधिकतम 450 रू. था, जो अब भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के चलते 2000, 3000 और 5000 तक वसूले जा रहे हैं, जिस पर शायद सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है या अघोषित रूप से संरक्षण है?
- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री और भाजपा बताये 18 लाख आवास किनके लिये बना रहे, उनकी सूची सार्वजनिक किया जाये। बजट में पीएम आवास के लिये सिर्फ 3799 करोड़ का प्रावधान है इतनी राशि में 18 लाख आवास कैसे बनेगा इसका जवाब भाजपा दें। सरकार बताएं कि 18 लाख पीएम आवास के लिये राज्यांश की राशि कितनी होती है? 3799 करोड़ बजट में स्वीकृत की गई है उस से 18 तो क्या 5 लाख आवास भी नहीं बनाई जा सकती है। असलियत यह है कि केंद्रीय योजनाओं में लक्ष्य तय करने का अधिकार राज्य को नहीं होता। 2011 के बाद से केंद्र की मोदी सरकार जनगणना के दायित्व से भाग रही है।
ताकि इरादतन षड़यंत्रपूर्वक नए हितग्राहियों को लाभ से वंचित रखा जा सके। अपनी नाकामी पर पर्देदारी करने मोदी सरकार के द्वारा जनगणना नहीं कराए जाने से सबसे ज्यादा नुकसान गरीब वर्ग का हुआ है। नए हितग्राहियों की पहचान कर उन्हें आवास देने के लिये कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ में आवास न्याय योजना शुरू की जिसकी प्रथम किस्त भी सितंबर महीने में जारी की जा चुकी है, जिसे बंद करने का षड़यंत्र भी भाजपा सरकार रच रही है। भारतीय जनता पार्टी को अपने झूठ, जुमले और वादाखिलाफी के लिए छत्तीसगढ़ की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
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