प्रदीप उपाध्याय आत्महत्या मामला : संभाग आयुक्त करेंगे जांच

शासन ने कलेक्टर कार्यालय राजस्व विभाग में पदस्थ क्लर्क प्रदीप उपाध्याय की आत्महत्या के मामले में बड़ा निर्णय लिया है। प्रदीप उपाध्याय ने 28

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  • Updated On - November 8, 2024 / 08:52 PM IST

रायपुर। शासन ने कलेक्टर कार्यालय राजस्व विभाग में पदस्थ क्लर्क प्रदीप उपाध्याय (Pradeep Upadhyay)की आत्महत्या के मामले में बड़ा निर्णय लिया है। प्रदीप उपाध्याय ने 28 अक्टूबर को फांसी लगाकर आत्महत्या (suicide by hanging)किया था। आत्महत्या करने से पहले मृतक ने एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उन्होंने विभाग के तीन अधिकारियों तत्कालीन एडीएम गजेंद्र ठाकुर, वीरेंद्र बहादुर सिंह और एडीएम देवेंद्र पटेल पर प्रताडऩा का आरोप लगाया। वहीं अब इस मामले में की जांच संभाग आयुक्त महादेव कावरे को सौंपी गई है।

छग प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, रायपुर शाखा के अध्यक्ष रामचंद्र तांडी के ज्ञापन पर संज्ञान लेते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने संभाग आयुक्त से मामले की जांच के बाद अनुशंसा के साथ जांच प्रतिवेदन मांगा है. गौरतलब है कि मृतक ने अपने सुसाइड नोट में विभागीय अधिकारियों द्वारा मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त किए जाने और उनकी छवि खराब करने के आरोप लगाए थे। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरी स्थिति की तथ्यात्मक जांच कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।

सुसाइड नोट में लिखी ये बात

प्रदीप उपाध्याय ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, ‘मैं प्रदीप उपाध्याय पूरे होश हवास में यह आत्महत्या पत्र लिख रहा हूं. मुझे पूरी उम्मीद है कि जिन अधिकारियों का नाम है। उन्हें भाजपा सरकार या तो कांग्रेस पार्टी जरूर सजा दिलाएगी। मैं पूरी ईमानदारी कर्तव्य निष्ठा से अपना कार्य कर रहा था।

‘मुझे डायवर्सन शाखा के साथ राजस्व आपदा का काम सौंपा गया था. मुझे परेशान करने के लिए देवेंद्र पटेल तत्कालीन एसडीओ आज दिनांक में कलेक्ट्रेट रायपुर में है। गजेंद्र ठाकुर अपर कलेक्टर के साथ मिलकर मुझे नजीर शाखा में अतिरिक्त कार्य सौंपा गया। ‘मैं अपना काम निष्ठा से कर रहा था, लेकिन अधिकारियों तत्कालीन गजेंद्र ठाकुर, तत्कालीन वीरेंद्र बहादुर और  देवेंद्र पटेल ने किसी नेता से मेरी फर्जी शिकायत कराकर मेरा खरोरा ट्रांसफर कर दिया। हर अधिकारी से मेरी बुराई की गई। जिससे कलेक्टर के सामने मेरी छवि खराब की गई।

‘लेकिन मेरी शिकायत प्राप्त नहीं होने पर देवेंद्र पटेल और गजेंद्र ठाकुर द्वारा भूमिका बनकर किसी नेता से तत्कालीन कलेक्टर को फोन कर शिकायत कराई गई। मुझे खरोरा ट्रांसफर कर दिया गया। देवेंद्र पटेल द्वारा किसी न किसी रूप से मुझे परेशान किया गया। मेरे खिलाफ बार-बार हर अधिकारी के पास मेरी बुराई की।

वहीं इस आत्महत्या मामले के बाद ब्राम्हण समाज में आक्रोशित है इस सबंध में उन्होंने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में मृतक के पास से मिले सुसाइड नोट का हवाला देते हुए वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रताडऩा का आरोप भी लगाया था।

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