राहुल गांधी का ‘Modi-अडानी’ पर वार, सुनाया ‘हिंदुस्तान’ का दर्द

By : madhukar dubey, Last Updated : February 26, 2023 | 3:21 pm

छत्तीसगढ़। कांग्रेस के 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन (national convention) में राहुल गांधी ने मोदी और अडानी की दोस्ती पर प्रहार किया। इसके अलावा उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जो महसूस किया। उसे लोगों के सामने बयां किया। अधिवेशन के तीसरे और आखिरी दिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 32 मिनट की स्पीच दी।

राहुल ने भाषण में अडाणी हिंडनबर्ग मामला, चीन पर जयशंकर के बयान, 2024 लोकसभा चुनाव समेत कई मुद्दों पर बात की। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर निशाना साधा और चीन के बड़ी अर्थव्यवस्था होने पर उनकी टिप्पणी के लिए उन्हें ‘कायर’ करार दिया।

विदेश मंत्री पर तंज कसते हुए कहा, ‘अंग्रेज भी बड़ी अर्थव्यवस्था थे, लेकिन कांग्रेस ने उनसे मुकाबला किया।’ उन्होंने सवाल किया कि यह किस तरह का राष्ट्रवाद है कि विदेश मंत्री एक बड़ी अर्थव्यवस्था से डरते हैं। राहुल ने कहा, यह सावरकर की समझौता और सत्ता-राही की विचारधारा है जबकि कांग्रेस की विचारधारा ‘सत्याग्रह’ है।

राहुल ने अदानी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री से पूछा कि उनका अदानी के साथ किस तरह का संबंध है और मैंने अदानी के विमान में आराम कर रहे प्रधानमंत्री की तस्वीर दिखाई।

‘ शेल कंपनियों के माध्यम से किसका पैसा आ रहा है और इसकी जांच संयुक्त संसदीय समिति द्वारा क्यों नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा, मोदी और अदानी के बीच एक रिश्ता है और दोनों एक हैं, क्योंकि देश की सारी संपत्ति एक हाथ में जा रही है।

 

भारत जोड़ाे यात्रा के भावुक पलों के किस्से भी सुनाए

1. जब गले लगता था तो ट्रांसमिशन सा होता था

राहुल गांधी ने कहा, ‘4 महीने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा हमने की। वीडियो में आपने मेरा चेहरा देखा, लेकिन हमारे साथ लाखों लोग चले। बारिश, गर्मी और बर्फ में हम सब एकसाथ चले। बहुत कुछ सीखने को मिला। आपने देखा हो कि पंजाब में एक मैकेनिक आकर मुझसे मिला।

मैंने उसके हाथ पकड़े और सालों की उसकी तपस्या, उसका दर्द और दुख मैंने पहचान लिया। लाखों किसानों के साथ जैसे ही हाथ मिलाता था, गले लगता था एक ट्रांसमिशन सा हो जाता था।

शुरुआत में बोलने की जरूरत होती थी कि क्या करते हो, कितने बच्चे हैं, क्या मुश्किलें हैं। एक-डेढ़ महीना ये चला और उसके बाद बोलने की जरूरत नहीं पड़ती थी। जैसे ही हाथ पकड़ा, गले लगे उनका दर्द एक सेकंड में समझ आ जाता था। जो मैं उनसे कहना चाहता था, बिना कुछ बोले वो समझ जाते थे।’

2. यात्रा शुरू की तो पुरानी चोट का दर्द उभर आया

राहुल गांधी ने कहा, ‘आपने बोट रेस देखी होगी। मैं बोट में बैठा था। मेरे पैर में भयंकर दर्द था। मैं उस फोटो में मुस्कुरा रहा हूं, मगर मेरे दिल के अंदर रोना आ रहा था। मैंने यात्रा शुरू की। फिट आदमी हूं। 10-12 किलोमीटर ऐसे ही दौड़ लेता हूं। घमंड था कि 20-25 किलोमीटर चलने में कौन सी बड़ी बात है।

पुरानी चोट थी। कॉलेज में चोट लगी थी फुटबॉल खेलते वक्त। मैं दौड़ रहा था दोस्त ने अड़ंगी मार दी थी। वो दर्द गायब हो गया था। जैसे ही यात्रा शुरू की, दर्द वापस आ गया। आप मेरा परिवार हो तो आपसे कह सकता हूं कि सुबह उठकर सोचता था कैसे चला जाए। उसके बाद सोचता था कि 25 किलोमीटर नहीं 3 हजार 500 किलोमीटर चलना है, कैसे चलूंगा।

फिर कंटेनर से उतरता था चल देता था। लोगों से मिलता था। पहले 10-15 दिन में अहंकार और घमंड गायब हो गया। क्यों गायब हुआ। क्योंकि भारत माता ने मैसेज दिया था, तुम निकले हो कन्याकुमारी से कश्मीर के लिए तो अपने दिल से अहंकार मिटा दो। नहीं तो मत चलो। मुझे ये बात सुननी पड़ी। मुझमें इतनी शक्ति नहीं थी कि ये बात ना सुनूं।’

3. आज तक मेरे पास घर नहीं है

उन्होंने कहा, ‘मैंने धीरे-धीरे नोटिस किया कि मेरी आवाज चुप होती गई। जम्मू-कश्मीर पहुंचा तो बिल्कुल चुप हो गया। मेडिटेशन करता हूं जैसे वैसे ही चुप हो गया। मां बैठी हैं। मैं छोटा था, 1977 की बात है। चुनाव आया, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं मालूम था। घर में अजीब सा माहौल था। मैंने मां से पूछा मम्मी क्या हुआ। मां कहती हैं कि हम घर छोड़ रहे हैं।

तब तक मैं सोचता था कि वो घर हमारा था। मैंने मां से पूछा हम घर क्यों छोड़ रहे हैं। पहली बार मां ने मुझे बताया कि ये हमारा घर नहीं है। ये सरकार का घर है। अब हमें यहां से जाना है। मैंने पूछा कहां जाना है तो कहती हैं कि नहीं मालूम कहां जाना है। मैं हैरान था। मैंने सोचा था कि वो हमारा घर था। 52 साल हो गए मेरे पास घर नहीं है। आज तक नहीं है।

4. हिंदुस्तान के लोगों ने जो मुझसे कहा, वो दर्द समझा नहीं सकता

राहुल बोले, ‘यात्रा में मेरे साथ लोग थे। लाखों लोग थे। मैं सोचता था कि मैं क्या कर रहा हूं। मकसद क्या है। मैंने अपने दफ्तर के लोगों को बुलाया। उनसे कहा कि भीड़ है लोगों को धक्का लगेगा, चोट लगेगी। हमें एक काम करना है कि मेरे साइड में 20-25 फीट तक जो जगह है, वो हमारा घर है। ये घर हमारे साथ चलेगा। सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक ये घर साथ चलेगा।

मैंने सबसे कहा कि इस घर में जो भी आएगा, अमीर हो चाहे गरीब, बुजुर्ग हो, युवा हो या बच्चा, किसी भी धर्म, किसी भी राज्य का हो, हिंदुस्तान से बाहर का हो, जानवर हो, उसे ये लगना चाहिए कि मैं आज अपने घर आया हूं। जब वो यहां से जाए तो उसे लगना चाहिए कि मैं घर को छोड़कर जा रहा हूं। जिस दिन ऐसा हुआ यात्रा जादू से बदल गई। लोग राजनीति की बात नहीं करते थे। हिंदुस्तान के लोगों ने महिलाओं ने इस देश के बारे में मुझसे जो कहा, वो आपको बता नहीं सकता। युवाओं का दर्द आपको नहीं समझा सकता।’

5. महिला ने हाथ पकड़ा तो मैंने वही प्यार दिया, जो बहन प्रियंका को देता हूं

राहुल गांधी ने कहा, ‘एक महिला पास आई, उसका हाथ मैंने पकड़ा और पता चल गया कि कुछ ना कुछ बात है। जो मेरा प्यार मेरी बहन के लिए है, वही प्यार मैं उसे देने लगा। मुझे अजीब सा लगा कि ये कैसे हो रहा है। मुझसे उसने कहा-राहुल भैया आपसे मिलने आई हूं। मेरा पति मुझे मार रहा है, पीट रहा है। मुझे ये सुनने को मिला। मेरा परिवार सालों पहले जम्मू-कश्मीर से आया था। मैंने सोचा कि कन्याकुमारी से मैं कश्मीर तक अपना घर ले जा रहा हूं और यहां लग रहा है कि वापस अपने घर जा रहा हूं।’

6. मोदी जी ने 15-20 लोगों के साथ लालचौक में तिरंगा फहराया, हमने लाखों लोगों के साथ

राहुल ने कहा, “नरेंद्र मोदी जी बीजेपी के 15-20 लोगों के साथ लाल चौक में झंडा फहराया, भारत जोड़ो यात्रा ने लाखों लोगों के साथ झंडा फहराया, प्रधानमंत्री को समझ नहीं आया। एक कश्मीरी आया और कहा कि मैं आपके साथ तिरंगा लेकर चल रहा हूं। आपने हमारे दिल में जो भरोसा दिया है। उसकी वजह से साथ चल रहा हूं। हमारे साथ भारत यात्रा में लाखों लोग जुड़े ये काम राहुल गांधी ने नहीं किया, हमारे कार्यकर्ता ने किया।’

7. गांधी जी कहते थे कि सत्य का रास्ता मत छोड़ो, ये सत्ता का रास्ता नहीं छोड़ते हैं

एक नेता ने इंटरव्यू में कहा कि चीन की इकॉनमी हमसे बड़ी है तो हम उनसे कैसे लड़ सकते हैं। क्या जब अंग्रेजों से लड़ रहे थे, तो हमारी इकॉनमी उनसे बड़ी थी। क्या शक्तिमान से लड़ना ही नहीं हैं। ऐसे व्यवहार को कायरता कहा जाता है। ये सावरकर की सोच है कि जो आपसे तगड़ है तो उसके सामने सिर झुका हो।

एक मंत्री बोल रहा है कि चीन की इकॉनमी हमसे बड़ी है तो लड़ नहीं सकते हैं। इसे देशभक्ति कहते हैं क्या। ये कौन सी देशभक्ति है। जो कमजोर है, उसे मारो और जो मजबूत है उसके सामने झुक जाए। महात्मा गांधी सत्याग्रह की बात कहते थे। सत्य के रास्ते को कभी मत छोड़ो। ये लोग सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे। किसी से भी मिल जाएंगे। ये इनकी सच्चाई है।

8. भाजपा और संघ अडाणी की रक्षा क्यों कर रहे हैं

मैंने संसद में एक उद्योगपति के खिलाफ मोर्चा खोला। मैंने एक फोटो दिखाई,जिसमें मोदीजी अडाणी के साथ प्लेन में बैठे हैं। मैंने पूछा रिश्ता क्या है। पूरी सरकार, सभी मंत्री अडाणी जी की रक्षा करने लग गए।

अडाणी पर हमला करने वाला देश द्रोही और अडाणी देशभक्त बन गए। भाजपा और संघ उस व्यक्ति की रक्षा कर रहे हैें। सवाल है कि रक्षा क्यों कर रहे हैं। ये जो शेल कंपनियां हैं, हजारों करोड़ रुपया हिंदुस्तान भेज रही हैं, ये किसकी हैं। इसमें किसका पैसा है। जांच क्यों नहीं हो रही है। जेपीसी क्यों नहीं बन रही है।