IPS रतनलाल डांगी पर SI पत्नी ने लगाया यौन-उत्पीड़न का गंभीर आरोप, दोनों पक्षों ने दर्ज की शिकायतें

By : dineshakula, Last Updated : October 23, 2025 | 2:19 pm

रायपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग (police department) में एक उच्च स्तरीय विवाद सामने आया है। राज्य के सीनियर अधिकारी रतनलाल डांगी (IPS 2003 बैच) के खिलाफ एक पदस्थ एसआई की पत्नी द्वारा यौन-उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है। महिला ने उक्त अधिकारी पर पिछले सात साल से शारीरिक व मानसिक शोषण का दावा किया है।

उसने पुलिस मुख्यालय पहुंचकर इस संबंध में व्यक्तिगत शिकायत दर्ज कराई है। दूसरी ओर, डांगी ने इस पर पलटवार करते हुए पुलिस महानिदीक्षक (DGP) को लिखित पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने कहा है कि महिला उन्हें बदनाम व ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रही है।

अधिकारी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि महिला ने जहर लेकर धमकी दी, वीडियो कॉल-निगरानी लगाई, बाथरूम-वॉशरूम की निजी तस्वीरें लेकर ब्लैकमेल किया तथा परिवार व घर में दखल का प्रयास किया। इसके चलते वे मानसिक तनाव में हैं तथा अपने परिवार से दूर हो गए हैं।

महिला की ओर से दावा किया गया है कि वर्ष 2017 में कोरबा में जब डांगी एसपी पद पर थे, तब सोशल मीडिया द्वारा उनकी और महिला की मुलाकात हुई थी। इसके बाद दंतेवाड़ा-राजनांदगांव-सरगुजा-बिलासपुर में पदस्थ रहते हुए कथित तौर पर उत्पीड़न की बात उठी। महिला ने बताया कि डांगी ने उन्हें अपनी पत्नी की गैर-मौजूदगी में सेवा भारगे बंगले में बुलाया, न आने पर तबादले की धमकी दी, सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक वीडियो कॉल करने का दबाव बनाया और उनके पास आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य मौजूद हैं।

मामले की जांच का जिम्मा आनंद छाबड़ा (IG) को सौंपी गई है, जो कि विभागीय प्रक्रिया के तहत शुरुआत कर चुकी है — महिला व अधिकारी दोनों का बयान लिया जाएगा तथा संभव हो तो डिजिटल साक्ष्यों की फोरेंसिक जांच भी होगी।

इस विवाद ने विभागीय छवि और उच्च स्तरीय जिम्मेदारियों वाले अफसरों की विश्वसनीयता जैसे सवालों को फिर से जीवित कर दिया है।

विश्लेषण

  • अधिकारी स्तर पर ऐसे मामले जहां एक पदस्थ अधिकारी के खिलाफ उप-कर्मचारी/परिवार द्वारा आरोप लगते हैं, वे विभागीय विश्वास और कार्य-प्रणाली दोनों पर भारी पड़ सकते हैं।

  • दोनों पक्षों द्वारा आपस में गंभीर आरोप-प्रत्यारोप के बाद इसे निष्पक्ष व त्वरित जांच की आवश्यकता है ताकि विभागीय कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया दोनों सुरक्षित हों।

  • डिजिटल साक्ष्यों का अभाव (जैसा कि महिला ने कहा कि उपलब्ध नहीं हैं) प्रक्रिया को जटिल बना सकता है।

  • इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि यदि प्रमाण पाए जाते हैं, तो विभागीय और सामाजिक स्तर पर बहुत व्यापक प्रभाव हो सकते हैं।

अगले कदम

  • जिम्मेदार अधिकारी की रूप में IG आनंद छाबड़ा की टीम महिला के बयान एवं उपलब्ध साक्ष्यों को वन-व-वन रिकॉर्ड करेगी।

  • उसके बाद डांगी का बयान लिया जाएगा।

  • यदि डिजिटल साक्ष्य उपलब्ध होते हैं, तो उन्हें फोरेंसिक जांच हेतु भेजा जाएगा।

  • विभाग द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई तय की जाएगी — इसमें स्थानांतरण, निलंबन, या सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई हो सकती है।

  • सामाजिक और मीडिया दबाव के मद्देनज़र विभाग को खुलासा एवं निष्पक्षता बनाए रखनी होगी।